QUOTES ON #भटकता_मुसाफिर

#भटकता_मुसाफिर quotes

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अगर मंजिल लम्बा है तुम्हारा
तो बेशक कांटे होंगे उस राह
पर चलते वक्त वो कांटे चुभेंगे
भी तुम्हारे पैरो में और तुम्हें
भी इसका आभास होगा कि
ये कांटे ही मुझे मेरे मंजिल तक
ले जायेंगे मगर जब चुभे तो
उसको निकालने के बजाय
उसके साथ ही चलना ये तो
मूर्खता होगी ये सोचकर कि
यहीं हैं जो मेरे मंजिल तक ले जायेगें
और ऐसे ही चलते रहे तो कुछ
समय पश्चात वो भीतर ही भीतर
घाव कर देंगे तुम्हें तुम्हारे मंजिल
तक पहुंचने नहीं देंगे, तो इस बात
का ख्याल रखो, ये..........
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कांटा चुभें न और अगर चुभ भी
जाये तो उसे वहीं निकाल फेंको और
फिर आगे बढ़ो 🚶

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ना कर घमंड इन चंद चमकते नोटों पर तू..
भटक ना ऐ मुसाफिर कल तेरा दौर भी आएगा..
आज उछल रहा जीन पे तू, कल वही पे छोड़ आएगा..

किस शान में तू जी रहा, ये जिन्दगी देन किसीकी है..
उस माँ बाप के आँसू बहा तूने क्या पाया क्या पायेगा..
आज उन्हें सता रहा, बुढापे का तेरा दौर भी आएगा..
भटक ना ऐ मुसाफिर, कल तेरा दौर भी आएगा..

क्यूँ बांटने में तूँ है लगा, क्या हासिल होगा तूझे..
महल ही गर बनवा लिया, तो कौन तू रह पाएगा..
मिट्टी है घर तेरा, वही मिलने का दौर फिर आएगा..
भटक ना ऐ मुसाफिर, कल तेरा दौर भी आएगा..

किसी का दिल दुखा कर के, तू चैन से कैसे सोता है..
आज देख उन्हें तू हंस रहा, कल खुदा तुझे रूलाएगा..
तेरे कर्मों का फल तुझे मिले,एक ऐसा भी दौर आएगा..
भटक ना तू ऐ मुसाफिर, कल तेरा दौर भी आएगा..

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25 OCT 2019 AT 10:02

मेरी कमियों में छिपा है मेरा इंसानी वजूद,
गर हो तमन्ना-ए-मासूम,
जा फिर कोई फरिश्ता ढूंढ ले।

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22 MAR 2018 AT 21:10

"जिंदगी"

जिंदगी मे कुछ बड़ा पाना है तो कुछ बड़ा खोना सीखो,
गैरो का ना सही पर अपनो का साथ निभाना सिखो,
हर लम्हे को हर साँस को खुले आसमान की तरह,
बहते हुए दरिया की सिमटी हुई लहरों की तरह जीना सीखो,

जिंदगी दिखा देती हैं हर एक मोड़ पर नया रास्ता,
उन रास्तो पर आगे बढ़ना चलना सिखो,
जो पीछे रह गया उसे याद रखो पर उसके साथ ना चलो,
उसे फिर से पाने को चलो,

हर मौड़ पर एक नया है मंजर,
जिसने उसे चाहा वो उसी के साथ चल दिया,
जिसने उसे जीया वो खुद को भूल गया,

हजारो कहानी लाखो दुखो की किताब है जिंदगी,
जिसने पढ़ी वो जीना सीख गया,
जिसने समझी वो रोना भूल गया,

जिंदगी बस इतनी सी ही तो है जिंदगी,
ना चाहा जिसने कुछ उसने भी जिंदगी को पाया,
और जिसने चाहा सब कुछ उसने भी जिंदगी को पाया,

सब के लिए आसान नहीं हैं जिंदगी,
पर सबकी एक जैसी ही तो है जिंदगी...

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13 MAY 2022 AT 0:36

भटतता मुसाफ़िर सुकून की तलाश में
कि जल्द ही गुजरेगा ये वक्त भी,
ए–दिल तू बस खुश रह इसी आश में...
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22 DEC 2018 AT 11:31

खुदा ने नसीब में ही नहीं लिखी
"मोहब्बत और खुशियाँ"
हम खामखाँ दरबदर भटकते रहे

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30 APR 2021 AT 21:25

भटकता हुआ मुसाफिर बन
आज पहुंच बैठा बर्बादी के
दरवाजे तक!


कसूर बस इतना हुआ कि
ख़ुश रहने के रास्ते अपनों
से पुछ बैठे!!

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15 JAN 2021 AT 10:58

प्रेमपथ कहीं नहीं,स्नेहमुक्त पूरा संसार
आनन्द भरा था जीवन,करके साज़िश विस्तार
आओ सुनाऊं ह्रदय परिणय नीति परिणाम
बेख़ौफ़ होकर किया रूप ने कैसा काम
छाया सघन व्यथा का समीकरण,हम अधर में लटक गए
हँसकर पूछे पापी दुनिया बौरा गए या भटक गए?

कर दिया पागल-करार,इतना विरोध!
होकर विचलित मन लेले न प्रतिशोध
चरित्रहनन कर जाएगा ऐसे-कैसे
प्रबंध कर मृत्यु शीघ्र आये जैसे-तैसे
छाया सघन व्यथा का समीकरण,हम अधर में लटक गए
हँसकर पूछे पापी दुनिया बौरा गए या भटक गए?

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20 FEB 2019 AT 0:39

मुसाफिर को मुसाफिर ही रहने दो
ना जकड़ों भावनाओं में
बेगानो में ही जीता है अब मुसाफिर

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19 FEB 2019 AT 21:20

मालूम नहीं मुझे कहाँ जाना है
मंजिल तो पहले ही खो चुकी हूँ
अब खानाबदोश ही रह जाना है।




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