QUOTES ON #भंवर

#भंवर quotes

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21 JUL 2020 AT 8:33

हमें समंदर का इतना यूँ ख़ौफ़ न दिखाओ मियां,
हमने उसके हंसते हुए गालों में ही भंवर देखे हैं!

हमें आसमाँ के चमकते तारों से नहीं है लेना देना,
हमने उसकी आँखों में सितारे उतरते हुए देखे हैं!

हमें सात सुरों की सरगम लगती है बेसुरी लयताल
हमनें उसके पायल के घुंघरू की खनक देखी है!

हमें सावन की काली घटाओं से नही पड़ता फर्क,
हमनें उसकी बहकती लटों की आवारगी देखी है!

हमें सुर्ख गुलाब मासूमियत की मिसाल ना दो तुम,
हमनें उसके दहकते हुए लबों की नजाकत देखी है!

हमें कभी लग ही ना पाएगी किसी की बुरी नज़र,
हमनें उसके माथे, नजर की काली बिंदी देखी है!

हमें तुम चाहे कितना ही बेवजह बहका दो "राज"
हमनें उसकी मांग में मेरे नाम का सिंदूर देखा है! _राज सोनी

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17 AUG 2020 AT 13:45

दिल के अंदर एक बवंडर उठता है ...
जाने वह किस के मुकद्दर लिखा है ...
दिल जलाया हमने अपना जिसके खातिर...
जाने किसकी जुल्फ के साए बैठा है...
दीदा ए शौक़ और उसकी तमन्ना में ...
आंखों ने कई रात जगाए रखा है ...
भंवर में डूबना तय है दिल की कश्ती का ..
जिद्दी दिल ये किनारे की उमीद लगाए बैठा है।

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17 JUL 2020 AT 18:18

ये कैसी माया है...
उपवन है फूलों का, राज है भंवरों का...
कोई भी भंवरा किसी भी पुष्प का रसपान कर लेता है...
यहां तक कली को भी नहीं छोड़ता...

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20 JUL 2020 AT 12:45

आज दिल से दिल की बात हुई,
वर्षों बाद फ़िर ख़ुद से मुलाकात हुईं,
बोल पड़े हैं अरमान सभी मेरे,
क्या पाया तुमने दफ़ना के मुझे,
टूट गया तू झूठ के भंवर में फंसकर,
सिर्फ़ दर्दों से तेरी मुलाक़ात हुई।

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1 DEC 2017 AT 1:03

डूबने से डरता हूं मुझे तैरना नही आता
तेरे भवरों की गहराई मापना चाहता हूं।

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2 AUG 2021 AT 10:47

पास सब कुछ है मगर सुकून नहीं हासिल मुझे
ज़िंदगी से गुज़ारिश है कि अब दूर ले चल मुझे

ग़म-ए-यार हो गया है ग़म-ए-दिल में शामिल
रास नहीं आ रही है ज़िंदगी की महफ़िल मुझे

डूब रही है ज़िंदगी इस तरह कि साहिल पर हूँ
मगर फिर भी नज़र नहीं आ रही मंज़िल मुझे

मौज-ए-ज़िंदगी अब भँवर में ही डूबेगी क्या
ज़िंदगी गुज़ारिश है कि दिखा दे साहिल मुझे
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-सन्तोष दौनेरिया

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4 JUL 2020 AT 16:57

निकलना चाहता था वो 'शख्श' कशमकश की भंवर से,
पर, लहरो का छूना पसन्द था उसे...

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21 NOV 2018 AT 11:07

ये ज़िदगी भी ना जाने किस भंवर में आन फंसी
ना तो डूबने का चारा है, ना तिनके का सहारा है!!

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30 AUG 2020 AT 23:12

इस मशीनी युग में हमने बहुत कुछ नया पाया है
मानव जीवन को सुगम बनाया है,
असम्भव को भी सम्भव बनाया है,
अप्राप्य को भी प्राप्त किया है,
किन्तु हम असफल हुए हैं मनुष्यता का पाठ पढ़ाने में।
जैसे कन्ही विलुप्त सी हो गई है मानव जीवन की स्निगधता।

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30 APR 2021 AT 17:09

भंवर में है कश्ती अपनी,
किनारा भी नज़र में नही,

जो इस कूचे निकला दम,
अपना कोई शहर में नही.

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