देश के ताज़ा हालातों पर कहा है कि-
"अपने हालात देखतीं है,
महकमों का रुआब देखतीं हैं..
बाग़बान को कांटो से भरा देख,
तितलियाँ फ़क़त खाब देखतीं हैं.."
और कैसे ढोंग किये जाते है न्याय के नाम पर, उसके लिए कहा है-
"बा रसूख के ढंग देख चुकी हैं
अपनी आजादी की जंग देख चुकी हैं,
बदल गए गुलशन के हुआ करते थे जो,
तितलियाँ वो बोलते हुए रंग देख चुकी है"
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