मरै बैल गरियार, मरै वह अड़ियल टट्टू मरै करकसा नारि, मरै वह खसम निखट्टू बाम्हन सो मरि जाय, हाथ लै मदिरा प्यावै पूत वही मर जाय, जो कुल में दाग़ लगावै अरु बेनियाव राजा मरै, तबै नींद भर सोइए बैताल कहै विक्रम सुनौ, एते मरे न रोइए
पागल हवा .... घूमती रहती है .. भटकती रहती है .. टकराती रहती है ..चट्टानों से ... फिर भी नही टूटती .. नही कमजोर होते उसके इरादे ... और वो पगली , गली - चौबारे .. गाँव ..शहर ..पहाड़ी ..वन ... देती रहती है फेरी ... मात्र सबको सुखी रखने के लिये ???? गधा भी यही करता है .. और बैल भी ... जो दूसरों के बारे में सोंचता है .. चिन्ता करता है .. लोग उसे पागल , मूर्ख कहते हैं .. लेकिन हमें पता है कि मूर्ख कौन है ...
जब भी गर्भवती महिला बात आती है तब नौ माह के पीरियड में से आठवें नोंवे महिने की अवस्था वाली इमेज ही जहन में बनती है ठीक उसी तरह किसान का नाम आता है तब "हलधर वाला" ही किसान बन कर उभरता है!