उसे सोचता हूँ.. तो सोचूँ क्यूँ उसे मेरी.. याद नहीं आती हमनें मरने की भी ठानी.. तो लगा कोई जिंदगी.. साथ नहीं जाती "जाँ" से बढ़कर भी कुछ है मुझे समझ यह.. बात नहीं आती क्या है ज़िन्दगी.. क्या मुहब्बत बस शज़र से.. पंछी की आस नहीं जाती फिऱ से अंकुर आयेंगे नज़र से.. शाख़ नहीं जाती हवा है.. बस इक़ सरसराहट है चाह कर भी.. हाथ नहीं आती आँखों के समुख अंधेरा सा है जाने क्यूँ.. दिन में भी यह रात नहीं जाती!
सज़दा करूँ,रब का जहां आती है बनके तू दुआ वहां मुसलसर तेरे ख़याल में बेहाल रहता हूँ मैं ख़ुद दिल से कभी कभी सवाल करता हूँ मेरी राहें तेरी राहों से क्यों है जुदा जुदा चले आओ चले आओ मेरे हमदम चले आओ चले आओ है आंखें नम चले आओ चले आओ..!
देख तिरी याद में क्या हाल रहा क्या बेहाल रहा सनम न ज़ुबाँ मिली बोलने को न दिल मिला लगाने को तू जब भी आए सामने न सोच सकूँ न समझ सकूँ देखूँ जब-जब खुद को आईने में क्या बर्बाद रहा सनम