QUOTES ON #बेहद

#बेहद quotes

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26 DEC 2018 AT 22:13

पूरी एक उम्र लगती है मियाँ
किसी से बे-हद, बे-पनाह, बे-ग़रज़
शिद्दत भरी मोहब्बत होने में

और तुम कहते हो
मोहब्बत तो बस यूँ ही
एक नज़र में ही हो जाती है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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23 OCT 2018 AT 11:52

आज भी नहीं छुपा पाता अपने जज़्बात में उनके आगे
उनके आगे मैं हमेशा, जैसा हूँ वैसा ही हो जाता हूँ
उनका नहीं था तब भी, उनका हो गया तब भी
सारी दुनिया समझती है मुझे बे-दिल बे-जज़्बात
मैं केवल उनसे ही अपना अक्स साझा कर पाता हूँ
अश्क़ भी केवल उनके आगे बहाता हूँ
बचपना भी एक उन्हें ही दिखाता हूँ
हक़ जताता हूँ, बे-हद जताता हूँ
रूठ जाता हूँ, कभी उन्हें मनाता हूँ
गुस्सा है तो गुस्सा, प्यार है तो प्यार
सब केवल उनसे दिल खोल ज़ाहिर कर पाता हूँ
गुस्सा यूँ ही नहीं होता उनसे
उन्हें सुनाने के मन से, यूँ ही नहीं रूठ जाता हूँ
केवल उनकी फिक्र का मारा हूँ, इसलिये परेशान हो जाता हूँ
आज भी है उनका, मुझ पर उतना ही हक़
मैं भी तो बस उन पर, फ़िर से वही हक़ चाहता हूँ
फिक्र रहती है मुझे उनकी, ख़ुद से ज्यादा
बस यह बात आसान शांत लहजे में नहीं कह पाता हूँ
उनका दूर जाना मुझसे, मुझसे कटना या मेरा हक़ किसी और को दे देना
थोड़ा-सा भी मैं, ना जाने क्यों आज भी सह नहीं पाता हूँ
न-जाने क्यों मैं ऐसा हूँ, क्यों ख़ुद को नहीं बदल पाता हूँ
है बस इतना पता कि फिक्र है उनकी
मैं उन्हें आज भी बे-हद, बे-हद और बे-हद
बे-हद क्या, मैं आज भी उन्हें ख़ुद से ज्यादा चाहता हूँ
- साकेत गर्ग 'सागा'

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20 MAR 2018 AT 17:13


बेहद लिखी मोहब्बत, बेहूदा कही गई,
महबूबा सरहद पार से जो थी उसकी !!

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29 OCT 2019 AT 9:26

आदत नहीं है वो मेरी जो कुछ वक्त बाद छूट जाएगी,
ख़्वाहिश है मेरी वो जो कभी पूरी नहीं हो पायेगी।

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8 SEP 2020 AT 23:58

मंजिल दूर नहीं थी। बस पहुंचा करीब था।
रास्ते में मिला गया एक अंजान शायद बेहद गरीब था।

पहुंचा आया उसे अपनी मंजिल तक-2
उसका जज्बा देख मेरा लौट जाना ही ठीक था।

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ख़ुद ही ख़ुद की बातों पे अटल रहना ,
सच मे बेहद मुश्किल काम होता है !

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दुर हूं उससे बेहद बेहिसाब उदास होता जा रहा हूं ।
इतना पास से गुजरा हूं , ख़ामोश होता जा रहा हूं ।

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1 NOV 2019 AT 20:32

मैं भले ही कवि हूँ पर जिस दिन इतिहास रचूँगा
तो चाहता हूँ कि उसे कोई और कवि लिखे
मुझे बेहद खुशी होगी किसी का घर चलते देख

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15 MAY 2021 AT 13:55

कोई है सवाल जो मुझे पल-पल सता रहा है
धुंधला सा यह स्वरूप मुझे कौन दिखा रहा है
मैं डरती हूं सन्नाटे से जो पसरता है
घर से ज्यादा दिलों पर...
डरती हूं उन आंसुओं से...
जो दामन से ज्यादा भिगोता है मन
ऐसा क्या है जो बार बार बुला रहा है
कुछ तो है यही झकझोर सा मुझे जा रहा है

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23 JAN 2019 AT 9:46

गर इश्क़ है तो फिक्र भी बेहद होगी,
उबर गए तो किस्मत, डूब गए तो चाहत होगी !

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