पुरुष नर ही वो सर्वसक्ती है,
जो सबका और हमारा अभिमान है,
पुरुष ही परिवार को चलाता है,
वहीं समाज मै अपना नाम बनता है,
पुरुष ही एक घर को सम्पूर्ण बनता है,
वहीं है जो घर का प्रधान कहाता है,
पुरुष ना हो तो स्त्री का भी मूल नहीं
और स्त्री बिना पुरुष भी अनमोल नहीं
एक पुरुष की वजह से ही पीढ़ियां बढ़ती है
क्युकी एक महान पुरुष ही बेशकीमती है
(धामा आशीष)
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