एक अरसा बीत गया फिर खामियां ढूंढने आये तुम साथ लेकर अनेकों रंग नही आये तुम जो पहले तुम लाल हरे रंग की चर्चे किया करते थे पर अब बेवज़ह ही हर बात को तोलने में लगे हो जब देखो जहां देखो सिर्फ सफ़ेद झूठ व काला सच बयाँ करवाते हो हमसे तुम, इसकी भी ख़बर है तुम्हे सिमट लेते हो नए नए आयामों को मेरे हर एक बलबूते पर खड़े होकर भी ना जाने क्यों तुम मेरी बुराइयों को सिमटे हुए मुझे बेरंग किये जा रहे हो