तेरी रज़ा-मंदी पर ही तुझसे नाता तोड़ा है हमने,
अब ये न कहना कि तुम्हारी बात का मान नहीं रख पाए हम।
तुम ही चाहते थे न कि कोई ताल्लुकात न रहे अब मेरा-तेरा,
बस इसीलिए पिछा करना छोड़ दिया है,
अब ये न कहना कि बेबफा निकले हम।
लो सिर से तुम्हारा अपना बोझ हल्का कर दिया है,
अब ये न समझना की वादें से मुकर गए हम।
जाओ सुकून दे दिया है तोहफे में तुम्हें,
अब ये न कहना कि जाते-जाते कोई सौगात न दे पाएं हम।
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