खुद को भरी महफिल में उसने, जो बेनकाब किया, जैसे चंद सितारों के बीच रौशन, इक माहताब किया, देखते ही रह गए सब, निगाहें किसी की हटी ही नहीं, हंसी चेहरे ने उनकी, सूखे फूलों को फिर गुलाब किया!
जो करीब नहीं है उनमें और दूरी आने दो, हकीकत सामने आती है तो पूरी आने दो..!! वो बेवफ़ा जो खुद को खुदा बता रहा है, बेनकाब करूंगा खुदा की मंजूरी आने दो..!!