हे भगवान।
हर घर में एक बेटीयां अवश्य दें-
भला कैसी रहेंगी बेटीयां मेहफ़ुज दुनिया मे.
गर आँखो से देख़कर ही कोई अनावृत कर दे बताओ क्या किजीए.-
भला कैसे रहेंगी बेटीयां महफूज़ दुनिया में,
अगर "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ!"बोलने वाले ही,
बेटीयों का अपमान करने लगे,
बताओ क्या किजिए ?-
भला कैसे रहेंगी बेटियां महफूज़ दुनियाँ में,
बहुत कुछ सह रही है बेटियां,बहुत कुछ कह रही है बेटियां !-
बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए..😍👧🏻👩👨🏻⚕️👨🏼🎓👨🏻⚕️
माता पिता की आन, घर की बान, कुल की शान होती है..
ओंस की बूंद सी होती है बेटीयां..
घर की धड़कन होती है बेटियां..
घर संसार का कुल दीपक होती है बेटियां..
स्पर्श खुर्दरा हो तो रोती है बेटीयां..
रोशन करेगा बेटा तो एक कुल को..
मगर दो जहां को रोशन करती है बेटियां..
अनमोल सच्चा मोती होती है बेटीयां..
काटो की राह पर ये खुद चलती है बेटियां..
औरों के लिए फूल होती है बेटीयां..
बाबुल का आँगन को चहकाती है बेटियां..
अपना कर्म फ़र्ज निभाने को पराये आँगन को भी
अपना बना सदा के लिए महकाती है बेटियां..
सब कुछ छोड़ नया संसार बसाने की महारत होती है बेटियां..
विधि का विधान है कैसा, सिद्ध करती है बेटियां..
यही दुनिया की रस्म है, खूब निभाती है बेटियां..
अपना दर्द छुपा, परिवार का दुःख हर लेती है बेटियां..
मुठी भर निर्मल नीर सी होती है बेटीयां..✍🏼🐦😍👧🏻-
क्यो पैदा करें #बेटीयां जब
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निर्भया, प्रियंका आदी की तरह
जिंदा ही जलना मरना हो।
इंसान क्या बुरी बला है जब
इंसानियत का यूं डरना हो।
#मर्दानगी को #हवस खा गयी फिर तों
अच्छा #पुरूषार्थ का मुर्दा ही रहना हो।
#RIPPriyankaReddy
#हिंदुस्तान नहीं सुधरेगा 😔😔
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बेटींया बोझ नही अखंड जलता दिया होती है
जिस घर जायें वही ऊस घर को रोशन करती हैं-
"बेटी का प्रेम"
बेटियों की ज़िन्दगी भी कितनी अजीब होती है।
स्त्री होने के कारण स्वभाव से ही भावुक होती हैं।
जहाँ से भी तनिक प्रेम मिला उसे फिर ज़िन्दगी
का हिस्सा बना लेती हैं। माता-पीता के अतिरिक्त
जीवनसाथी का प्रेम भी उनके लिए खास होता है। पर वह कभी भी
इन दोनों रिश्तों को एक दूसरे के आड़े नहीं आने देना चाहती।
दोनों ही रिश्तों का एक विशेष स्थान होता है उसके दिल में।
दोनों ही रिश्ते महत्वपूर्ण होते हैं उसके लिए।
परंतु अपनी पसंद से सादी करने वाली लड़कियों को माता-पीता से
तिरस्कार ही प्राप्त होता है पर उस बेटी का प्रेम माता-पीता के लिए
उम्र भर वैसा ही रहता है जैसा विवाह से पहले था।
एक ऐसे ही प्रेम को समर्पित है मेरी यह रचना।
यह मेरे जीवन में घटित एक सच्ची घटना से प्रेरित है।
(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)-