बोया था मैने कुछ दिन पहले ,एक बीज प्यार का, मिलाकर समर्पण मिट्टी में,आँगन दिया माँ के दुलार का सींचा प्रतिदिन उस बीज को , भावनाओं के रस से, देखो कैसे मुस्कुरा रहा है उसमें, नवांकुर प्यार का।
तो इस बिगड़ते रिश्ते को सम्भाल सकते हो सवार सकते हो, निखार सकते, इसमें बेइन्तहा प्यार भर सकते हो। ये जो हमारे रिश्ते में उग रहे हैं गलतफहमी के बीज इनको तो तुम पैदा ही ना होने दो। इस रिश्ते में तुम फिर से जान डाल दो।