बिछड़ने से ज़रा पहले, ज्यादा करीब हो जाते हैं
हम जिन्हें बहुत चाहते हैं, अक्सर वो खो जाते हैं
दिल, मानता ही कहाँ है, पराया उनको
ग़ैर कहकर, हमें छोड़, जो जाते हैं
याद पूरी निकलती ही नहीं, अब उनकी
वो ज़रा से जो याद आएं, आँखें भिगो जाते हैं
होता है यही किस्सा, अब हर रात
हम इंतज़ार करते करते, सो जाते हैं
हवाएं मचाती हैं, बवंडर दिनभर
रात को चुपके से बादल, ओस से धो जाते हैं
है कैसी किस्मत अपनी मौला
करीब जाएं जिनके, दूर वो जाते हैं
ये मुफलिसी नहीं अब, बर्दाश्त के काबिल
छोड़ो यार, हम तो जाते हैं
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