Anil Mishra 26 NOV 2023 AT 10:55 क्यों ना समेट लिया जाए इनको भी सीने में,अब तो बिखरे हुए अल्फ़ाज़ भी ज़ख्म देते हैं.नासूर बन गया है ये हिज्र-ए-ग़म उसका, ज़ख्म दिल के, हर घड़ी करवटें बदलते हैं.. - Saket Garg 23 JUN 2017 AT 14:54 कुछ अहसास, कुछ जज़्बातकुछ बिखरे अल्फ़ाज़ लिखता हूँजो खो गया है तुम में, मुझ में कहींमैं वो खोये हुये अंदाज़ लिखता हूँ- साकेत गर्ग - Shivani 27 NOV 2023 AT 0:03 वो अल्फाजों के बिखरने की बात करते हैंइन्हें सीने में समेटने की चाह रखतें हैंजो कभी चाहत रखीं होती हमारी रूह तक पहुंचने कीतो आज़ यूं हमें जरूरत ही न होती नासूर ज़ख्म -ए- ग़म सहने की - Ravindra Gupta 17 JUN 2020 AT 15:07 बिखरीं पड़ी थी ,पंखुड़ियां पैग़ाम _ऐ _मोहबत गुलाब की...उन क़दमो के नीचे,जो उन काटो के भी लायक न थी।। - अल्पना तिवारी🌹🌹 28 NOV 2023 AT 14:54 उतार कर उन लफ्जों को पन्नों में, सोचा था कि गम हल्का हो जाएगा,क्या पता था बढ़ जाएगा जख्म - ए - दर्द यूं, यादों का नासूर दिन - ब-दिन बढ़ता ही जाएगा..... - मैं शांत समंदर सी 'सहर' 27 NOV 2023 AT 21:29 मेरी रूह है बसेरा उसकी यादों काकैसे उसमें किसी और को रहने की जगह दे दूं... - Madhuri Jain 27 NOV 2023 AT 19:44 क्यों ना फिर ज़ख़्म को सिले फिर सीने में क्यूं, समेटे नासूर बने अरसे बाद शब्द बिखरे रूसवा हों तो वक्त भी ज़ख़्म भरने लगते हैं बिना करवटें बदलें - Sanjay Srivastava 27 NOV 2023 AT 21:42 यादों का समन्दर है इस दिल मेक्यों ना समेत लूँ एक कागज पे - savi P. 21 JUL 2020 AT 13:32 आसमान में बिखरे है काले बादल ऐसे नीले कागज पर काली स्याही के छींटे बिखरे हो जैसे - Kamal 27 AUG 2020 AT 22:02 आशियानें यूं ही नहीं बनते "साहब",,तिनका तिनका उठाना पड़ता है।। -