QUOTES ON #बिखराव

#बिखराव quotes

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30 AUG 2020 AT 13:07

कभी कभी मेरे शब्द
सिसकने लगते है
बेबसी सोख के
किसी नन्हें हाथों
की फैली हथेली
देख कर |
बौनी लगने लगती है
प्रेम मे रचि मेरी
प्रेम कविताएँ |
..
क्यों नहीं समेट पाती मै
उनकी आँखों के
सपनें अपनी कविताओं मे?
क्यों स्वार्थी सी प्रतीत होती है
मेरी कलम?
..
..
क्यों मासूम चेहरे की कालिख
को पोछ नहीं पाता
मेरे शब्दों का पानी?
क्यों? क्यों? क्यों?
ये सवाल मेरा,मेरी ही कविताओं से
शब्दों से 🙏🙏🙏🙏

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22 DEC 2022 AT 20:54

मुझे बिखराव पसंद है

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4 OCT 2020 AT 13:01

क़रीने से समेटना मेरे वजूद को तुम ......
टूटना फ़ितरत तो नहीं मेरी
पर बिख़र जल्दी जाती हूँ |

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17 MAY 2021 AT 18:16

शीर्षक????
👇👇👇👇

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19 JUL 2017 AT 22:25

अपनी जुबान से क्या कहूँ शब्दों का तक़ाज़ा है
बस ये जान लो आईने में आज बिखरा अक़्स दिखा।।

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16 MAY 2021 AT 9:30

* एकता का रहस्य *
जापान के ओ-चो-सान व्यक्ति के परिवार में एक हज़ार सदस्य थे।परिवार की ख्याति सम्राट यामातो तक पहुंची।सम्राट को भरोसा नहीं हुआ,इतना बड़ा परिवार कोई मन मुटाव नहीं,यह हो नहीं सकता है।
सच्चाई जानने के लिए एक दिन सम्राट ओ-चो-सान के घर पहुंचे।परिवार ने उनका सम्मान किया।सम्राट ने पूछा कि क्या इसका रहस्य बता सकते हैं कि इतना प्रेम हमेशा कैसे बना रह सकता है।
ओ-चो-सान वृद्ध हो गये थे।उन्होंने कांपते हाथोंं से कागज पर कुछ लिखा और सम्राट की ओर बड़ा दिया।उसमें एक ही शब्द लिखा था 'सहनशीलता' है।
सम्राट को आश्चर्य चकित देख ओ-चो-सान ने कहा कि मेरे परिवार की ख़ुशी और एकता का रहस्य बस इसी एक शब्द में छिपा है।जहां सहन शीलता है वहां क्रोध नहीं पनपता है।
जहां क्रोध नहीं होगा वहां टकराव नहीं होगा।टकराव नहीं होगा तो बिखराव नहीं हो सकता है।...

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30 MAR 2021 AT 10:05

मैं जब भी तुमसे मिलती हूँ,
तुमसे बातें करती हूँ!
अपने मैं में, तुम्हें पाती हूँ..
देखती हूँ,
तुम्हें, मेरी नमी को सोखते हुए..
अक्सर ही....
, मेरे घने, खुले, रूखे से केश
तुम्हारे स्पर्श से
महक उठते हैं .....
और,
तुम्हारे जाने के बाद..
मैं तुममे
कही, भींग जाती हूँ....

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बूढ़ी आंखे , झुलसे चेहरे
हां अब नजर नही आते
नजर नही आते है अब वो
ईंटो और खप्पड़ों से बने घर
जो मिट्टी से जुड़े थे फिर भी मजबूत थे
लेकिन अब सब टूटा- टूटा नजर आता है
वक़्त बिखर सा गया
परिवार के नाम पर
अब परिवार कहाँ नजर आता है
बड़ी बड़ी इमारतों में रहने लगे है
हम दो और हमारे दो को ही परिवार
बस अब कहने लगे है
जिनके साथ खेला करते थे अब वो दुश्मन बने
दिखावटीपन इनका गहना बना
अब खुद को एक दूसरे से ऊंचा दिखाना पेशा रहा
जिसने इस काबिल बनाया की
दो रोटी पर खुद को पाल सके
अब वो बूढ़े माँ बाप
बृद्धा आश्रम में रहने लगे है

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28 SEP 2023 AT 22:10

मुझे पता है कि मैं बिखरी हुई हूँ अभी, पर
मुझे विश्वास है कि मैं खुद को एक दिन संवार लूंगी..

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15 MAY 2020 AT 12:31

मैं अक्सर सोचती हूँ,
एक ही जगह पर बार बार
चोट करने पर क्या
होता होगा..
न जाने..
कितना कुछ टूटता
चला जाता होगा..
और कितना कुछ
दबा,कुचला या सहमा सा
रह जाता होगा..
और इन टुकडों में
झांकने पर महसूस
होता है कि जीवन की
सबसे भयानक दशा है

"बिखराव"....



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