मैं जब भी तुमसे मिलती हूँ,
तुमसे बातें करती हूँ!
अपने मैं में, तुम्हें पाती हूँ..
देखती हूँ,
तुम्हें, मेरी नमी को सोखते हुए..
अक्सर ही....
, मेरे घने, खुले, रूखे से केश
तुम्हारे स्पर्श से
महक उठते हैं .....
और,
तुम्हारे जाने के बाद..
मैं तुममे
कही, भींग जाती हूँ....
-