// चाँदनी रात //
झिझकता चाँद,झिलमिलाते तारे,
बादलों से झांकती चाँदनी पुकारे.
इंतज़ार है आज नई कहानी का,
चाँद हुआ दिवाना चाँदनी के रूप का.
चाँद को चाहने वाले तो बहुत हैं,
चाँद की चाहत तो केवल चाँदनी है.
बेवजह सुबह से कर ली दुश्मनी है,
रेशमी स्मृतियों के झालर के आशियाने में.
हसरतों के हाथों पर लगाकर मेहँदी,
उम्मीद की डोली में सजी है चाँदनी.
टिमटिमाते तारों की बारात लिए साथ,
चाँद की चाँदनी से वादे,वफ़ा की रात.
कसमें-वादे,खुदा की खुदाई की रात,
श्वेत,शुभ्र,पाक मोहब्बत फ़ना होने की रात.
मचलते अरमानो को सँभालने की रात,
चाँदनी की विदाई की वेला में ,
अश्रु-पूरित,नम-नयनों की बातों की रात.
चाँद के चाँदनी से पवित्र मिलन की
शरद ,श्वेत,मख़मली सपनों की
अद्भुत,अविस्मरणीय रात..!!
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