शहर में बड़ी-बड़ी दुकानें थी सजी
खिलौनों, कपड़ों, किताबों से भरी
और मेरे बाबूजी की छोटी सी नौकरी
वो बरसों तक अपने लिये नया कुर्ता नहीं सिलवा पाए
पुराना फटता और सिल जाता, लेकिन कपड़े,
खिलौनें, किताबें मैं जो भी माँगता मुझे मिल जाता
कुछ किस्से हैं जो हमेशाँ के लिये,
मेरे दिल पर दर्ज हो गये है
मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा कि मेरी,
खुशियां खरीदने में बाबूजी खर्च हो गये है....
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