परम पूज्य बुद्ध ने अपने धम्म के द्वारा भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में शांति, अहिंसा, प्रेम, करुणा, सत्य और आत्म - अनुसंधान , तर्कशीलता, आडंबरहीनता आदि का जो संदेश दिया था वह मानवीय गुणों को ऊंचाई देने वाला रहा है। हमें गर्व है कि हमारी स्वयं की संस्कृति बुद्धमय रही है, जिसने हमें हजारों साल पूर्व ही ' बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय ' का उपदेश देकर आपसी सद्भाव का पाठ पढ़ाया था।
आज जब पूरा विश्व अलग - अलग त्रासदियों से आक्रांत है, तब हमारे लिए बुद्ध का धम्म ही एकमात्र विकल्प है। जहां तक मैंने पढ़ा है - मध्यम मार्ग के प्रणेता बुद्ध ने कभी भी अपने द्वारा खोजे हुए सत्य को आम लोगों पर थोपने की कोशिश नहीं की। उन्होंने " अप्प दीपो भव " का संदेश दे कर खुद के सत्य को उजागर करने की प्रेरणा दी और अपने अनुयायियों को मानव एवम् इतर जीव - जातियों की सेवा के लिए संकल्पित किया। इस अवसर पर आप सभी मित्रों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं..!! नमो बुद्धाय ..!!-
1.we will not stop until we unite the victims of the system and overthrow the spirit of inequality in our country. 2.A community that doesn't have representation in political power that community is dead. 3.we don't won't social justice,we want social transformation. जय भीम, जय कांशीरामजी जय संविधान।
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सत्ता के हैवानो को तुम ललकारो
संविधान के हंटर से इनको मारो
शासन-सत्ता खेल नहीं है दुर्जन का
याद दिलाओ यह भारत है बहुजन का-
कौन आया क्यों आया मतलब नहीं,
क्या कहा क्या सुना मतलब नहीं।
क्या हुआ क्या होगा परवाह नहीं,
कहां से आए कहां जाना परवाह नहीं।।
देख रहे हैं फिल्मे नाटक घर में पड़े,
या मोबाइल पर चुटकुले सड़े सड़े।
हंसाने वाले कवियों की कविता भी सुनते हैं रोज,
इधर बाबा साहब के विचार मरे पड़े।।
शिक्षित होकर भी सोए हुए हैं,
सक्षम होकर भी रोए हुए हैं।
ना कहीं जाना ना कहीं आना,
जाने किन विचारों में खोए हुए हैं।।
यह हमारी मस्ती कश्ती ले डूबेगी,
आराम की जिंदगी ज्यादा दिन नहीं रुकेगी।
बिना रोए तो मां भी दूध नहीं पिलाती,
बिना संघर्ष क्या कोई सियासत झुकेगी।।
हमारी इस अनदेखी का अंजाम बुरा होगा,
हमारी लापरवाही का परिणाम बुरा होगा।
यह आराम की जिंदगी जिस ने दी है हमें,
ऐसा अंबेडकर बार-बार नहीं होगा।।
नौकरी मिली मकान बनाया,
नौकरी से सम्मान कमाया।
धिक्कार तेरी जिंदगी एहसान फरामोश,
उसको ही भुला जिससे पाया ।।
बहानेबाजी के प्रकांड विद्वान,
अपनों से धोखा वाह इंसान।
अपने ही पैर कुल्हाड़ी मारे,
बुरा ही होगा इसका अंजाम।।
आत्मा रोती होगी भीम की,
उन्नति कल्याण गजब की थीम थी।
युगो युगो तक राज करते,
प्रभु महामानव की मुहिम थी।।
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