गहरी काली आँखें उसकी,
रेशम जैसे बाल,
बन्द आंखों में ही,
एक चेहरा सा बन पाता है।
आंखे खुल जायें,
तो सबकुछ,
दूर-दूर हो जाता है।
बस उसके हाथों का स्पर्श,
जो गालो को छूकर,
खुशबू का वो मधुर अहसास
मुझे देकर जाता है।
मेरे चहुदिश ही रहकर,
न जाने क्यों वह,
मुझको बहुत बताता है।
एक बार फिर से,
अंधेरे के साये में,
बन्द आँखों की खिड़की पर,
मेरा ख्वाब अधूरा रह जाता है।
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