देख ते है सभी पर देख ने नजारे बदल गए। सोच ते है सभी पर सोचने के अंदाज बादल गए। पढ़ ते है सभी पर पढ़े लिखे इंसान बदल गए। कह ते है जमाना बदल गया पर वो कहने वाले लोग बदल गए।
तुम्हारे लौटने तक वक्त के साथ और भी चीजें बदल जाएंगी..... अल्हड़ कविताएँ परिपक्व हो गई हैं बेपरवाह बहकती राहों का भटकाव अनायास ही सधी और संजीदा चालें चलने लगा है.... मायने बदलती जिंदगी का ठहराव पूछने लगा है हिसाब व्यर्थ में उलझे निरुत्तरित प्रश्नों का!! सत्य भी यही है तुम्हारे लौटने तक सब बदल गया है ..!!
बदल गए हो तुम,या बदल गया हूं मैं, या बदले हालात है, छोड़ो इन सब को,सब फिजूल की बात है, आऔ कभी चाय पर की एक मुलाकात हो, नुकसान हो या फायदा,खैर कुछ तो नयी बात हो।
कुछ तो छुपा रखे है उन्होंने दिल मे राज़ वक़्त ही नही है हमारे लिए उनके पास आज। जाने क्या हुआ है पिछले कुछ दिनों से बदले बदले से लगने लगे है उनके मिजाज।।
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