अजीब बात है बदल कर सब कुछ भी कुछ बदलता नहीं जीना छोड़ कर भी कोई यहाँ पे मरता नहीं बदलकर सब कुछ भी कुछ बदलता नहीं लाख टूटे सपने हजार रूठे अपने फ़िर भी देखने से आदत ये छूटता नही घोंपता है कोई खंजर प्यार से आंखें बंद कर लगाए चाहे जो कोई मरहम ज़ख़्म ये भरता नहीं बदलकर सब कुछ भी कुछ बदलता नहीं अजीब बात है.