क्या फ़ायदा?
धुआं उठने दे ऊँचा, फ़साना यूँ ही चलता रहेगा।
अब घबरा कर मोहब्बत करने का, क्या फ़ायदा?
दिल पर ज़ोर नहीं मेरा, इसे होना है बस तेरा
अजी! डर कर रिश्ते निभाने का, क्या फ़ायदा?
जलने दे ज़माने को, हमारी मोहब्बत की आग से
ज़ालिम शहर को न जलाए, तो क्या फ़ायदा?
अभी तो बस शुरुआत है, पत्थर हजार लगेंगे हमें
बिन चोट के, सब हासिल हो जाए तो क्या फ़ायदा?
मुद्दा होगा - बवाल होगा, हर दिन नया सवाल होगा
एक भी ज़ुबां पर, ताला न लगाए तो क्या फ़ायदा?
हर चौराह पर, बेग़ैरत - बेअदब कहे जायेंगे हम
तीर मुस्कुराहट का न चलाए, तो क्या फ़ायदा?
अब ख़ैरियत न पूछेगा कोई, ख़िलाफ़ होंगे सभी
अपनी दुनिया के ख़ातिर, बग़ावत न कर पाए तो क्या फ़ायदा?
क्यों शर्म से लिपटे, जब क़ुसूर नहीं मोहब्बत
बेख़ौफ़ टकरा कर झुका न दे ज़माना, तो क्या फ़ायदा? (गीतिका चलाल) @geetikachalal04
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