मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिये,
फूल बंजर में उगाना सीखिये!
खिड़कियों से झांकना बेकार है,
बारिशों में भीग जाना सीखिये!
आंधियां जब दे रही हो दस्तकें,
तब दिये की लौ बचाना सीखिये!
खामोशी से आज सुनता कौन है,
शोर महफिल में मचाना सीखिये!
डालिये दरिया में यूं मत नेकियां,
अब भला करके जताना सीखिये!
तान के रखिये इसे हरदम मगर,
सर किसी दर पे झुकाना सीखिये!
भीगती है आँखे किसी की याद से,
आंख को सबसे छुपाना भी सीखिये!
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