सावन लेकर आ गया, मौसम प्रेम फुहार ।
जी भर कर देखे पिया, अब तो मुझे निहार ।।
चूड़ी कंगन बिंदिया, पायल की झंकार ।
नाक नथनिया माँगती,बस साजन का प्यार ।।
कली-कली इतरा रही, पाकर मादक प्यार ।
प्रेम-स्नेह के रूप में, बूँदों की बौछार ।।
हरी-हरी धरती हुई, किया हरित श्रृंगार ।
सावन के उल्लास में, गाए मेघ मल्हार ।।
बूँदों की बौछार से, जीव सभी हैं तृप्त ।
खिले-खिले उपवन सभी,प्रकृति प्रेम में लिप्त ।।
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