"बहुत कुछ है कहने को"
खता हुई क्या मुझसे, मिलकर एक बार बताना जरूर
यादें जो रह गयी तुम्हारे पास, साथ उन्हें लाना जरूर।
अभी थोड़ा वक्त और लगेगा, मुझे संभालने में खुद को
बहुत कुछ है कहने को, फुरसत मिले तो आना जरूर।
ऐसे भी कोई रूठता है क्या, अपनों से नाराज यूँ होकर
किस बात पे रूठा है दिल, एक बार इसे मनाना जरूर
बहुत शिद्दत से सजाया है मैंने, इसे तुम्हारी खातिर
कुछ हसीन लम्हें मेरे दिल के, घरौंदें में बिताना जरूर।
ये सफर प्यार का कट जायेगा, मिलकर साथ चलनें से
बढ़ लूंगा मैं दो कदम, दो कदम तुम भी बढ़ाना जरूर।
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