हाँ,,नही करती
चेहरे की सुंदरता आकर्षित मुझे
#फिर_भी सुंदरता तो
मुझे भी,,आकर्षित करती है
वो सुंदरता जो हमे,,संपूर्ण बनाती है
हाँ,,वही "मन की सुंदरता"
कैसे कर लुं यकीं,,तुम्हारी बात का
कि महज गोरा रंग ही,,सुंदरता कि है परिभाषा
क्या मूरत नही होती खूबसूरत
फिर भेद क्या उसका,,इंसान का
ईमानदारी,सत्यनिष्ठा,,कर्तव्यबोध,नैतिकता
यही तो इंसान को सुंदर बनाता
हाँ,,पूर्ण है वो मानव,,जिसके पास ये गुण है
कोई फर्क नही पडता,,तब रुप आपका कैसा है
ये खूबसूरत काया नश्वर है
गोरे रंग का सौंदर्य तो,,मात्र इक भ्रम है
ये उस दिन ही खत्म हो जाएगा
हा,,जिस दिन इस देह से,,आत्मा बाहर आएगा
अच्छी क्रीम क्यो नही लगाती
पार्लर जाने मे,,तुमको Q दिक्कत होती
मुहांसे के दाग,,रुप को भद्दा दिखाते है
मोटी हो रही योगा,,जिम क्यो नही जाती
👆
ऐसा कहने वाले कभी
गहरे सागर मे,,मोती ढुढ पाते ni
प्रकृति की सुंदरता फ्रेम
मे आ सकती नही
हाँ,,वैसे ही मन की सुंदरता
कविता मे बयां नही हो सकती!!
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