QUOTES ON #प्रेमीपंछी

#प्रेमीपंछी quotes

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7 APR 2020 AT 14:32

हम एक नये सफर के लिए जा रहेँ हैं,
खुद से मिलने की आरजू लिए जा रहें हैं


वो भी अगर नये के साथ खूश है तो क्या
हम भी तन्हाईयों के मज़े लिए जा रहें हैं,
शादाब कमाल

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18 JUL 2020 AT 7:14

जो प्रेमी, प्रेमिका के
जीवन का हिस्सा नहीं बन पाते
वो कविताओं में अपना मुख्य
स्थान ले लेते हैं।

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24 JUN 2020 AT 13:43

वो प्रेम में अंधी प्रेमिकाएं जिनके आंसू कोई नही पोछता..खुद ही चुप हो जाती है रो रो कर..
लगा देती है कोई मुस्कुराती हुई प्रोफाइल पिक्चर और अपने दिल को तसल्ली भी दे देती है कि सब ठीक हो जाएगा एक दिन..🖤

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21 OCT 2017 AT 23:17

शौक़ हमें भी हे,शायरी-ऐ-तारीफ़ का।
और लिखते भी हम ख़ुद क़ी है।
बस सुनाते नहीं किसी को।
क़ोई और तुम्हें पढ़े।
यें हमसे देखा नहीं जाता।

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21 MAY 2020 AT 0:21

आसमान में बने इंद्रधनुष को, रंगो में कैसे बाँटु
कि ये पंछी तो बस ऊँची, ऊड़ान भरना चाहता था..।

रातों में टिमटिमाती चाँदनियों के तारो को कैसे तोडुँ
कि ये चकोर तो बस उनको एकटक निहारना चाहता था..।।

हे! प्रियतमा तूम्हें इन आँखो सें औछल भला कैसे कर दूँ
कि ये प्रेमीं इन जुल्फो के साए में खोकर,
धड़कते-बहकते मन से तो बस, वक्त रोकना चाहता था..।।💠।।

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18 JUL 2020 AT 12:05

Aisa sabke sath nahi hota kuch shaukeen log bhi apne jajbato ko kalam ki awaj se likhte h

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4 JUL 2018 AT 0:29

बादल और चाँद की जुगलबंदी ऐसी है,जैसे दो प्रेमियों के बीच का वार्तालाप.
बारिश की फुहार मिट्टी में यूं घुल जातें हैं,जैसे प्रेमियों का मन.
भोर में ओस की बूँदे जब हरे घास पर ठहरतीं हैं,मानो नैन-मटक्के कर रहें दो प्रेमी हों.
जाड़े के उस कोहरे में कुछ नज़र नहीं आता,क्योंकि प्यार तो होता ही है अंधा.
तो चलो इस प्यार के दियें जलाएँ,उसी घाट पर,जहाँ सब कमाने आतें हैं पुन्य.
सिर्फ एक कपड़े की थान लपेटे आऊँगी, तुम आना लेकर ग़ज़रे के फुल,लगाना ज़ुड़े में मेरे.
काश ये सारी बातें सच होती,तो टूटते ना मेरे ये सपने हर सवेरे.

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31 OCT 2017 AT 21:46

दिल की बात तो दिलवाले ही समझते है।

आँखों में उनकी अक़्सर अश्क़ छलकते है।
ऎसे आशिक़-ए-रूश तो सिर्फ़ गलियों में भटकते हैं।

अब कहां वो आशिक़ी इन लोगों में,
जो दिलों की राह जिस्म की और बदलते हैं।
छोड़ो ये बेरहम दुनिया की बातें,अपनी बात करते हैं।

क्योंकि!
दिल की बात तो दिलवाले ही समझते हैं।

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10 JUN 2020 AT 2:36

आज भी सुन लेती हूं सूखे पत्तो की चरमाराहट को
सूनी गलियों में,
जो उनके आने की आहट हुआ करते थे।
वो खुशबुदार रेशम का रूमाल संभाल के रखा है,
फासले तो दिल से हुआ करते है देह से नहीं।

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7 DEC 2019 AT 22:54

दिन कट जाते कैसे, साथी जब होता है,
मिलन घड़ी की रातें छोटी, साथी जब होता है।
दो नैनों के मिलने में ही, बीत जाते छुट्टी के दिन,
हप्ते पल भर लगें हैं अब तो, साथी जब होता है।
तन्हा मन अब रोता है।।
हाल नहीं बेहाल मेरा, सजनी भी अब रोती है,
चंद दिनों के आते हो कह, सजनी भी अब रोती है।
जो भी पल मिले हैं उसको, बांहों में आकर ही सिमटी,
घर से कदम निकालूं तो, सजनी भी अब रोती है।
हां गले लगाकर रोती है।।

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