अत्यंत दयनीय स्थिति में पहुँचकर
अत्यधिक पीड़ाओं पे, जिंदगी से गुजरकर
मृत्यु की चौखट पे सर पटकती देह
बिलकुल वैसे ही
जैसे विरह के चरम में
अँधेरे के सर्वोच्च तम में
मेरे हाथों में
उन ऊँगलियों का स्पर्श
ऐसे रहा मानो
मृत्यु की भीख माँगते आँचल में
ईश्वर ने स्वयं आकर
प्रेम पुष्प अर्पित कर दिये हों ॥
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