सुध-बुध अपनी खो बैठूं मैं, कोई ऐसा गीत तुम गाओ ना
अपने रंग में रंग दो मुझे, या मेरे रंग में तुम रंग जाओ ना।
रोम-रोम में बस गए ऐसे तुम,अब और कुछ न मुझे भाए,
बना लो मुझे अपनी प्रेयसी,या फिर तुम मेरे बन जाओ ना।
सुख दुख के सब रंग मिले तो बनी ओढ़नी इस दीवानी की,
अपने इस संगम का प्रियतम भेद तुम्ही मुझे समझाओ ना।
तुमसे है मेरी दुनिया हंसीं, गुम हो फिर तुम क्यों और कहीं,
प्रेम की रुत में सुनो, तुम संग मेरे कोई सांझ तो बिताओ ना।
तुम्हारी एक मुस्कुराहट पर सौ खुशियाँ अपनी वार दूँ मैं
भूल कर दर्द तुम सारे एक बार दिल से जरा मुस्कुराओ ना।
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