QUOTES ON #प्रीत

#प्रीत quotes

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3 NOV 2018 AT 5:44

मन उपवन तन सज्जित प्रियतम
हाथ पुष्प लिए मनुहार करूं,
नैन भरे काजर मतवारे
नखशिख पिया श्रृंगार करूं,

रंग बिरंगी प्रीत की गागर
जीवन संग तेरे पार करूं,
उलझे केशों को सुलझाकर
फिर उलझूं, बाहों का हार करूं,

अनुगामिनी हूँ,
तुम मेरा मार्ग प्रशस्त प्रिये
सुख दे दूं,
दुख सारे मैं स्वीकार करूं !

- दीप शिखा

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आंग्ळी म्हारी कळम पक्ड़णु नी जानै
साथ समंदर रे पार म्हारो जीव बसे
जीव री सुध तांई जीव म्हारो तरसे ,

दौरी सोरी पार करी एक अबखाई
ठाणे ठाणे जाकर मेंं तौ कागद ळिखाई
जीव जानै जी कियाँ थाँ कने पुगाई ,

चार चाँद ळुक्या , चार सुरज चढ़्या
चाँदनी तारा री आई
आई कौणी सुध म्हारे कागद ए री ,
आँख्या म्हारी नीर झरगी री ।

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22 JUL 2019 AT 12:57

मेरे ख्वाबों की हकीकत इतनी सी है
कि आंख खुली तो बस तुम नज़र आए..

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21 DEC 2021 AT 11:03

अपनाउंगी तो नही पर साथ रहो मेरे
नजदीक मत आओ बस पास रहो मेरे

माँग में सजा नही पाउंगी तुमको
बसर करो कंगन में भरतार रहो मेरे

पायल से पाया है काजल से निभाऊंगी
बैचेनी है दुनिया की तुम करार रहो मेरे

अजब इश्क है उसका भी जो कहती है
में मीरा ना बन पाई तुम श्याम रहो मेरे

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1 FEB 2020 AT 16:58

भेजता हूँ, प्रीत का पैगाम
बहती सर्द पुरवाई संग संग
समां आगोश में,, तुम भी
व्यवहार अपना, निभा लेना

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10 AUG 2018 AT 5:01

मेरी प्रीत पिया तुम क्या जानो,
जग को बिसराई बैठी हूँ,
तन चंचल मन व्याकुल है
हर पल अकुलाई बैठी हूँ,
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मन दर्पण तन सोने सा
हृदय पुंज अति शोभित है,
पुष्प प्रेम के राह में तेरी
मैं बिखराई बैठी हूँ,
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चित्त में तेरी अनुपम छवि
मृदु स्वर की तनिक आतुरता,
अलंकृत श्रृंगार से युक्त
मन को भरमाई बैठी हूँ,
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प्रेमदीप की शिखा सरीखी
आंच में तपकर सोने सी
चंद्रकिरण की शीतलता युक्त
मैं सकुचाई बैठी हूँ....
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27 DEC 2021 AT 15:37

कान्हा में लिखू तुम पर तो लिखू क्या
कृष्ण लिखू तुमसे बाहर तो लिखू क्या


राधा को हारा रुक्मणी को जीता लिख दु
वो जो जिंदा समा गई उस को लिखू क्या

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22 NOV 2020 AT 9:50

" दीप छंद "

तेरा अमिट रंग
छेड़े मन तरंग,
तू ही हृदय समाए
प्रीत मधुर बसाए।

तेरे मधुर बैन
देवे सकल चैन,
तू ही हृदय प्राण
वैरी यह जहान।

लूं नाम दिन रात
भाए सुखद साथ,
हूं पाकर निहाल
हो साथ चिरकाल।‌‌
.......निशि....🍁🍁

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6 OCT 2020 AT 13:45

जो प्रीत के नाम पे,
बांधे मन को,
वो प्रीत,प्रीत ना होय।
आतम को आतम से बांधे,
कोई ना कभी जो विवशता साधे,
ऐसी प्रीत की बारिश हो,
जो मुक्त करे तन को मन को,
जैसी प्रीत की लगन लगे,
वो प्रीत करे ना कोय।
जो प्रीत के नाम पे,
बांधे तुझ को,
वो प्रीत, प्रीत ना होय।।

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17 MAR 2019 AT 11:22

रंग होरी का सब रंगें, सब लाल गुलाबी केसरिया,
मैंने ओढ़ी चूनर प्रीत की, तूने मन रंग डाला पिया !

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