QUOTES ON #प्रिय

#प्रिय quotes

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10 MAY 2017 AT 18:35

Dear YQ ians,
यदि किसी एक दो का नाम लेकर उनकी तारीफ करूँगा तो ये उनके साथ ज्याती होगी जो दिल से और बहुत अच्छा लिखते हैं। मैं समझता हूं सब के पास एक अलग कला है, कोई write-ups अच्छे लिखता है , तो कोई कविता, कोई गज़ल तो कोई नज़्म , कोई one/two liners अच्छे लिखता है तो कोई letters , कोई गीत अच्छे लिखता है तो कोई मुक्तक छंद , कोई व्यंग्य अच्छे लिखता है तो कोई कहानी ,पर सब लिखते बड़ा कमाल हैं किसी एक को चुनना दूसरों के साथ नाइंसाफी होगी। कोई अंग्रेजी का किंग है तो कोई हिंदी का सम्राट , कोई उर्दू का बादशाह है तो कोई हिंदुस्तानी का राजा ,मगर सब लाजवाब हैं। किसी को पढ़ के मन में आक्रोश पैदा हो जाता है तो कहीं असीम शांति मिलती है, कोई गम्भीर से गम्भीर व्यक्ति को हंसा देता है तो कोई पत्थर दिल को भी पिघलने पर मजबूर कर देता है ,पर हैं सभी अद्भुत। कोई आपको अपना गांव याद दिलाता है तो कोई शहर की सैर करा देता है। किसी का लेखन आपको नए शब्दों की सौगात दे जाता है , तो कोई अर्थों के समंदर में गोता लगाने को बाध्य कर देता है। कोई अपनी लेखनी से प्रेमिका की तस्वीर उकेर देता है तो किसी को पढ़कर मां बाप को बार बार thanku कहने का जी करता है। सब अपनी जगह अनमोल है कोई किसी दूसरे की तरह नहीं लिख सकता।
मैं हमेशा कहता हूं चाहे जो हो पर सब आदमी से इंसान बनने में लगे हुए हैं ।

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23 JUL 2022 AT 9:07

प्रिय...
कितना पवित्र था ना.. वो निस्वार्थ प्रेम ह्र्दय का..
जो निष्पाप निरीह हर संदेह से परे था,

तूम्हारे अधर चूमने से पहले...
वो तुम्हारे ललाट के चुम्बन...
उफ़्फ़.. इक सावन जो मेह से परे था,

कितने खुबसूरत थे वो आलिंगन पवित्र मन के...
जो तुम्हें कई पलों तक बाहों में भरे...
...मैं यूँ ही खड़ा रहता था,

प्रिय... अब केवल स्मृतियों में ही रह गए हैं
वो रेशमी रूयीं से स्पर्श तुम्हारे...
वो हस्त मख़मली वो नयन प्यारे,

प्रिय... कितना ईश्वरमयी था ना वो एकांत हमदोनों में...
वो अन्तर्मन का संगम... जो देह से परे था!!
है ना...!

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4 FEB 2020 AT 7:22

तुम देकर मदिरा के प्याले मेरा मन बहला देती हो,
उस पार मुझे बहलाने का उपचार न जाने क्या होगा!
इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!

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13 MAR 2021 AT 19:52

ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता

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7 MAR 2021 AT 9:19

सुखं  वा यदि वा दुःखं प्रियं वा यदि वाप्रियम्‌।
प्राप्तं प्राप्तमुपासीत हृदयेनापराजितः।।

[ चाहे सुख हो या दु:ख, प्रिय हो या अप्रिय, इसमें से जो कुछ भी कभी भी प्राप्त हो, उसको उस समय सन्मानपूर्वक अपराजित हृदय से स्वीकार करें। ]

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19 MAR 2021 AT 9:31

Only sweet things do not fill you up, dear friend
Make breakfast, lunch and dinner on time too.

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15 DEC 2021 AT 6:16

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25 AUG 2019 AT 7:34

तेरा ना हो पाना मजबूरी है मेरी
और गर तू पहले जैसा हो गया
तो मेरी मोहब्बत रूठ जाएगी

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9 JAN 2020 AT 8:24

बहुतों का प्रिय होना आपको अप्रिय बना देता है।

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4 JUN 2021 AT 23:02

उफ्फ़, यूँ आपका सामने आ जाना ,
कमबख़्त एकटक निगाहों से ,
हमें ही देखते जाना ,,

फिर क्या..??
मुस्कुराहट का गहना
लज्जा की लालिमा से ही
हमारा यूँ ही सादगी से
सँवर जाना हुआ...और,,,

अरे, ओ मेरे प्रिय!
हाय! अब भला,,
मैं और श्रृंगार ही क्या करती।।

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