QUOTES ON #प्रवृति

#प्रवृति quotes

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29 JAN 2022 AT 21:04

आदतें थोड़ी खराब रखिए...............।
अजीबो गरीब मिजाज़ रखिए...........।।
जरूरी नहीं हर नजर में अच्छा होना....।
हां दिल को हमेशा सरताज रखिए.....।।— % &

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30 MAR 2019 AT 2:52

आबो हवा का देख मिज़ाज़
खुद को यूँ भी सजाना पड़ता है

दूसरों की ख़ातिर कभी-कभी
ख़ुद तड़प कर रह जाना पड़ता है

दुनिया नहीं कहती चराग़ यों ही
रौशनी से जग को नहलाना पड़ता है

हो बेचैनी दम-तोड़ू अंतर में फिर भी
ऐसे दिन आते हैं, कम घबराना पड़ता है

रिश्तों को जब शब्द जोड़ ही नहीं पाते
ऐसे में फिर आमने-सामने आना पड़ता है

क्यों पूछते हो बार-बार, नहीं पूछा करो तुम
वो "गौरव" है और फिर समझाना भी तो पड़ता है

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10 SEP 2017 AT 8:36

आपकी प्रवृति का प्रकृति से बेहतर कोई गवाह नहीं!

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10 OCT 2019 AT 23:05

हमारी प्रवृति-प्रकृति-पसन्द-व्यवहार-चरित्र
और व्यक्तित्व के सब आयाम,
प्रेरित हमारे विचारों से..
विचार उपज हमारी मानसिकता की
और मानसिकता उपार्जित अनुभवों से,
अनुभव है वक़्त के कुछ खट्टे कुछ मीठे
और कभी कभी एकदम कड़वे उपहार..!!

तजुर्बे तो चले जाते है..
मगर छोड़ जाते है अपनी विरासत
जो झलकती है हमारे व्यवहार में,
बदल-नोच जाती है हमारे आत्म को..
एक विश्वास का तजुर्बा सब पर विश्वास करा देता है
एक धोखे से उठ जाता विश्वास कायनात से,
व्यवहार और प्रवृति की जड़ है तज़ुर्बे..!!

परिणामतः बदलते रहते है हम
हमारी भौतिक व मानसिक आवश्यकताएँ..
और हमारा व्यवहार..
क्योंकि बदलते रहते है तजुर्बे..
क्यों न बदले तजुर्बे भला?
गतिशील है समग्र जंगम
और अनस्थिर है स्थावर अपने गुण-धर्म में..!!

परिवर्तनशील सकल सृष्टि,
न अपितु प्रकृति
बल्कि अनन्त अज्ञात ब्रह्मांड भी..
कुछ नही शाश्वत यहाँ यहां तक कि सूर्य भी..
समाना अंततः उसे भी काले राक्षसी रन्ध्र में ही,
चलते रहिये..रुकना अभिशाप..और एक पाप..!!

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7 JUN 2018 AT 23:43

झुकने की आदत इसलिए डाला ताकि अंहम न आ जाये।
पर झुकते झुकते अब दिल डरता है कि झुकने की आदत से कहीं स्वाभिमान न चला जाये।
सुना तो है फल लगने पर डाली का झुकना प्रवृत्ति है।
पर ये आँखें जो करीब से देखती है कि ज्यादा फल लगने से बिना सहारा की डाली टूट जाती है।
रजनी अजीत सिंह 7.6.18

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18 JUL 2019 AT 13:48

छोड़ दिया मैंने नफरत करना
बिच्छू के काटने पर,
अब इसके बार बार डंक मारने से भी
बुरा नहीं लगता।
क्योंकि मैं जान गया, दोस्त हो या दुश्मन
डंक मारना तो प्रवृत्ति है इसकी।

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7 JAN 2023 AT 13:07

बुद्ध हो जाना संभावना है

और

बुद्धु रह जाना प्रवृति ।

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19 APR 2022 AT 21:00

जिज्ञासु प्रवृति
तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता की निशानी है जो
बुद्धि को विकसित कर
व्यक्ति को विवेकशील बनाती है।

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15 MAY 2020 AT 17:07

समय : एक विचार

इन दिनों जो समय चल रहा है। यह सामान्य दिनों के जैसा नहीं है। आज हर किसी के पास अपरिमित- असिमित समय की पर्याप्तता है। जो केवल चारदीवारी के भीतर रहकर व्यतीत करने की लक्ष्मण-रेखा के जैसा है। क्षण-क्षण व्यस्त रहने वाला व्यक्ति आज समय न कटने की शिकायतें या पीड़ा अपने सगे-संबंधियों से फोन पर बयां करता नजर आता है।
अवांछित समय का सदुपयोग करना उनके लिए सिर पे रखे बोझ के समान है। समय की उपलब्धता इतनी अधिक है कि उसके किनारे पकड़ पाना दुष्कर कार्य है। समय स्वयं भिन्न-भिन्न टुकड़ों में विभाजित होकर नाना प्रकार के कार्यों में बसा रहता है,जिसे करते हुए व्यक्ति यह कहता है कि मैं व्यस्त हूँ,मेरे पास अगले एक सप्ताह तक समय नहीं है। समय की कीमत काम से निर्धारित होती है। काम नहीं है तो अत्यधिक उपलब्ध समय व्यर्थ है। समय व काम एक दूसरे के पूरक हैं।
टीवी,गेम (इनडोर),चित्रकारी (केवल भीतर) ये सब तभी मन को भाते हैं जब समय न होने पर भी समय निकाल लिया जाता है। साहित्यिक एवं लेखकीय प्रवृत्ति समय पर विजय पा सकती है। लेकिन यह सभी में उपलब्ध नहीं होती है। उक्त प्रवृतियों से समय खुद छूट पाने के अवसर तलाशता है। क्योंकि वहाँ विचारों के सागर को मथने का अमिट कार्य होता है। परंतु आज जो समय है उसे अपनी व अपनों की सुरक्षार्थ व्यतीत करना अनिवार्य है।

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5 JAN 2018 AT 18:02

लोग कहेंगे ही (2)

तुम तो घबराकर पीछे हट गये
पर सीने में जल चुकी आग का क्या करोगे
अब चिंगारी धधक उठी है
तो थोड़ी हवा देने में क्या हर्ज है ??
लोग तो वैसे भी कहेंगे ही
अहम को उनकी ठोकर लगी है भाई !
तुम जो उनके खिलाफ हुए हो
क्या सह पायेंगे ये दौरा वो
भून कर खुद गुस्से में
लोग तो अब कहेंगे ही !!

विद्रोह करोगे !! सेना बनाओगे !!
अरे जरा बच के ,
लोग क्या कहेंगे ??
अब जोश जाग गया !!
जंग छेड़ ही लो
आगे बढ़ कर अपने पथ पर
विजय झंडा गाढ़ ही लो
अब देखो जरा लोगों को
ये अब भी चुप नहीं हुए
कुछ खुसुर फुसुर अब भी कानों में कर रहे
इतनी तेजी से आवाज़ जो उठाया तुमने
लोग तो कहेंगे ही !!
देखो अब कमियां निकाल रहे वो लोग
कहते जीत का मंत्र तुम्हें पता था शायद
या फिर बईमानी कहीं तो की होगी
अब उनकी सोच पर पहरा कब तक दोगे तुम
वो फिर भी गलत सोचेंगे ही
अगर लोगों की सोची होती
गाँधी, सुभाष और कलाम ने
इस आजाद भारत में इतिहास ना कभी बना होता
तू भी रच ले अपना इतिहास
कि अब तो लोग कहेंगे ही
किस्मत जब पल्टेगि तेरी
आँखे चकाचौंध उनके होंगे
लगेगा ताला उनके सोच पर
तब भी लोग कहेंगे ही
जब अपने बच्चों को
तुमहरा उदाहरण देंगे लोग
सोच ,समझ में परिवर्तित होगी
पर अब भी सुकून ना होगा
क्योंकि लोग तो कहेंगे ही ।

लोग कहेंगे ही (2)
#मनुष्य #प्रवृति
कभी ना बदले
#Motivationalpoe


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