यूँ मौत का सागर आएगा
प्रलय बन तुमारे ही सर मंडराएगा।
हैं, उठ खड़ा ज़मीर तुम्हारा
फिर क्या हिंदू, क्या मुस्लिम, बन आएगा।
हो कलम तुम्हारी गर मजबूत
तो, अपना इतिहास खुद लिख आना।
न, होगा तू न, होगी में
अपना मकसद तुम ले आना।
अटल रहो तुम अपने पथ पर
सौदा अपना जिंदगी से कर आना।
न सच्चा तू, न झूठी में,
अपना नाम बदल आना।
लगे तुमे जो कुछ शेष नहीं,
बस मन को शांत करा लेना।
जोश साथ दे जो तुम्हारा,
होश को साथ भी ले आना।
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