राह भटकाते असंख्य मिलेंगे जब ढूँढने निकलो हाला
पूछो इधर,उधर कहेंगे,पथिकों का है जाला
दो घूंट तुम भी लगा लो,फिर शांत होगी ज्वाला
चाह अगर हो अटल तुम्हारी,तुम्हें मिलेगी मधुशाला
मिलता नहीं सफ़ेद मन,मिल जाता है दिल काला
मदिरा पिलाने को यहाँ मिलता है साकी दिलवाला
प्यार माँगो,थमाते है ये कड़वा रस का प्याला
कहीं और पहुँचाये ना कोई,पहुँचा देते मधुशाला
जियो जिंदगी जब तक हो,होकर मतवाला
ना समझना मुझे तुम हर को अधरों से लगाने वाला
मग्न हूँ मैं ,तुम भी आओ साथ में होगा ठिकाना
चलो फ़िर घूम कर आये अपनी वही मधुशाला
देख सभी को उतार लिया हमने भी जिह्वा से हाला
कभी कभी तो मिलती है ये बिन मांगे ही प्याला
दर दर भटकता रहा,मिला ना कोई तुम सा साकी
अपनों को भी छोड़ आया मैं,अब जन्नत अपनी मधुशाला
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