रिश्तों के मायने बदल रहें है
बनते है जो जन्म से
अब निभते है पैंसो से,
प्यार तो रोज आशियाना बदलता है
अपनों को कहाँ ढूंढे हम
रिश्तों का बाजार लगा है
मिल रहीं है इज़्ज़त
पैंसो के दाम
कीमत देकर
खून-से-खून
का रिश्ता बन रहा है
'अपनों' का मतलब बदल रहा है,
अमीर भी बन बैठे है फ़कीर
रिश्तों का Charge
रोज बढ़ रहा है.
-