QUOTES ON #पेंसिल

#पेंसिल quotes

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10 JUL 2020 AT 18:59

नहीं है कोई दूजा साथी तुझ जैसा,
मां शारदा का प्राप्त हैं वरदान तुझे
जिससे करती हैं तु कल्याण सबका
बिन तेरे अधूरा है लेखक कवि और शायर
तू ही है पहली मित्र बच्चों की
ए पेंसिल नहीं कोई दूजा साथी तुझ जैसा

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10 JUL 2020 AT 19:38

कई दोस्त आये इस ज़िंदगी में , कुछ रह गये कुछ वक्त के साथ बह गये |
तुम आज तक साथ हो मेरे हर सफर में मेरी हमसफर की तरह |
लिखना तुम्हारी ही वजह से सिखा तुम अकेली ही हो जिसने मेरी गलतीयो को जानकर भी मुझे उन गलतीयों को मिटाकर फिरसे सुधारने का मौका दिया |
ऐसे ही हमेशा मेरा साथ देना मेरे हर सफर मेरी हर दास्ता में बस इतना ही चाहता हूँ तुमसे |

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11 JUL 2020 AT 13:57

केवल तुम ही ऐसी कलम हो,
जो दोबारा गलती सुधारने का अवसर देती हो।

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बहुत एहसानमन्द हूँ मैं तेरा,
जो मुझे लिखना सिखाया है तुमनें ।
मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचाने में,
बहुत बड़ा किरदार निभाया है तुमनें ।
बचपन में बहुत से सुन्दर चित्र,
बनवाये हैं मुझसे तुमनें
उनको बहुत ही सलीके से,
सजवाएँ हैं तुमने
एक बार एक चित्र और सजवा दे,
तूँ अपनी स्याही से ।
मेरी जिन्दगी का सुन्दर सा चित्र,
बनवा दे तूँ मुझसे ।

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1 JUN 2020 AT 16:40

"जूड़े में पेंसिल"

मैं जब भी कोई किताब पढ़ती हूँ तो अपने साथ एक पेंसिल ज़रूर रखती हूँ। न जाने क्यों पिछले कुछ महीनों से मेरी एक अजीब सी आदत हो गयी है। मैं पंक्तियों को रेखांकित करने के बाद पेंसिल को अपने जूड़े या चोटी में 'जूड़ा पेंसिल' की तरह अटका लिया करती हूँ।
एक दिन जब किताब पढ़ते-पढ़ते मेरी पेंसिल गुम हो गयी तो पूरे घर को सिर पे उठा लिया। हर जगह ढूँढा किताबों के बीच, बिस्तर पर, बिस्तर के नीचे...यहाँ तक कि पेंसिल की तलाश में अपने कमरे से गेस्ट रूम तक चली गयी जबकि आमतौर उस कमरे में दिन में एकाध बार ही जाना होता है। जब थक हारकर बैठी तो जूड़े की याद आयी और जैसे ही जूड़े को हाथ लगाया पेंसिल मेरे हाथ में। उस दिन ख़ुद पर गुस्सा भी आया और हँसी भी।

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10 JUL 2020 AT 20:36

"काश ये जिंदगी तुझसे लिखी कहानी होती,
किस्मत के हर पन्ने पर मेरी ही मनमानी होती,
मिटा देता उस लिखावट को जिसमें तू नहीं
तकदीर के हर पन्ने पर तेरी ही कहानी होती।"

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10 JUL 2020 AT 19:24

सोचते थे, कितनी असान है, ये जिंदगी।
मिटा कर, फिर लिख सकते थे जिंदगी।
इलज़ाम लगे खामियों के, तो होश में आये,
के स्याही के दाग से, बेई-मान लगे जिंदगी।

तुमसे अलग होने के बाद पता चला।
गलती सुधारने का मौका जब न मिला।

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21 APR 2020 AT 21:04

मैं......
उनके स्मृति पटल पर
पेंसिल की
लिखावट जैसी थी..
आसानी से
मिटा दी गई।
जबकि
वे..........
मेरे मन के
पन्नों पर
अमिट स्याही
के जैसे
छाए रहे।।

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10 JUL 2020 AT 21:59

बहुत कुछ सीखा है तुमसे
जिस तरह से तुम अपनी नोक के टूटने पर पूरी नहीं टूटती...
ठीक उसी तरह मुझे ठोकर लगने पर, मैं संभल कर दोबारा नहीं गिरती...

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10 JUL 2020 AT 19:32

अपने चाहने वालों को भी तुम कितना सताते हो,
वो छीलता रहता है और तुम टूट जाते हो।
कभी कभी ठीक भी गए तो रंगबाजीयाॅ दिखाते हो,
वह करता रहता है नागिन सी तुम को ।
और तुम हो झट से कुंभा बन जाते हो,
तुम भी कितनी कलाकारियां दिखाते हो।

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