बहुत एहसानमन्द हूँ मैं तेरा,
जो मुझे लिखना सिखाया है तुमनें ।
मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचाने में,
बहुत बड़ा किरदार निभाया है तुमनें ।
बचपन में बहुत से सुन्दर चित्र,
बनवाये हैं मुझसे तुमनें
उनको बहुत ही सलीके से,
सजवाएँ हैं तुमने
एक बार एक चित्र और सजवा दे,
तूँ अपनी स्याही से ।
मेरी जिन्दगी का सुन्दर सा चित्र,
बनवा दे तूँ मुझसे ।
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