QUOTES ON #पुष्प

#पुष्प quotes

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बची है कहाँ जिंदगी क्या आरज़ू करूँ
इबादत करूँ पहले या पहले वुज़ू करूँ।
मनाऊँ किसे मैं कहो सजदा किसे करूँ
खुदा ही बदल जाये तो क्या गुफ़्तगू करूँ।।

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25 MAR 2019 AT 14:05

हम और तुम इतनी दूरी पर आ गए नभ जितनी दूर धरा से है,
दूर तो हो गए हम तुमसे यूँ लेकिन पास भी हम तुम्हारे जरा से हैं।
पुष्प भी और काँटे भी हैं इस ह्रदय पर कदाचित सँभाले हुए हम,
जिसमें अन्तर्निहित पुष्प काँटे हुए हाँ हम उसी एक सहरा से हैं।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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25 AUG 2018 AT 18:03

मुनाशिब नहीं हमें, वो पुष्पों के इत्र, जो,
चंद मिनटों के लिए, महकते हैं.......,
मालूम नहीं तुम्हें, तेरे साथ होकर, हम!
इन इत्रों से भी, खुबसूरत महकते हैं.......।।

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1 MAY 2020 AT 14:08

ज्यों डाल पर पुष्प नित नए खिले,
त्यों अनुभव मुझको नित नये मिले।

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8 MAR 2021 AT 17:11

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24 MAY 2019 AT 13:54

त्रास का हृास करता हुआ
अभिशाप का
संताप तजता हुआ
उपहास को उपहार में
परिणत करता हुआ

उद्विग्नता, अधीरता,
प्रतिकूलता को चीर कर
चहुं ओर आमोद, उल्लास,
आहृलाद को
हर्ष अश्रुओं संग
प्रवाहित करता हुआ

प्रस्फुटित हुआ
पंक ही में
मृणाल से पुन:
अनुपम, अनूठा,
अद्वितीय,अनन्य
मृसण पुष्प
"कमल"!

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11 JUN 2021 AT 22:47

मैं ना होते हुए भी यहीं रहूँगी,
मैं मृत्यु पश्चात भी जीवित रहूँगी,,

मेरी कविता मुझे सदैव जीवित रखेगी,
देखना "जया" मरके भी अमर रहेगी।।

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6 MAY 2020 AT 17:30

जैसे पुष्प पौधों से विलग
कर, किये जाते हैं भगवान के
चरणों में अर्पित और पा जाते
हैं जीवन की सार्थकता।।।।

वैसे ही हम स्त्रियां भी
अपनी जड़ों से विलग हो ,
हो जाती हैं समर्पित अपने
देवता के मंदिर में,सार्थकता
के प्रलोभन में।।।।।।








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25 JAN 2021 AT 20:38

सुनो...
ये जूही का उदास पौधा देख रहे हो...!
इसके श्वेत पुष्प कितने आभाहीन हो गए हैं.?
नेत्रों के साथ हृदय को भी ठंडक पहुंचा सकती थी
दुःखों की औषधि बनने की भी थी संभावना
किन्तु,
नहीं, संवरण कर सकी
लोभ.. पुरानी मिट्टी का
नहीं, सहन कर सकी
चिरपरिचित गमले से विलगाव
नहीं, सामंजस्य बिठा पाई
नई परिस्थिति में
नहीं, आया उसे रास
अकारण ही मिला, "भौगोलिक प्रवास"

सुनो...
जो इक टुकड़ा स्थान भी
नहीं मिला, तुम्हारे उर में
नहीं, कभी कह सकी तुम्हें
क्या घटा, हृदय के अंत: पुर में

अब लिखूं तुम्हें तो समझोगे क्या...?
कि अब सहन नहीं होता मुझसे भी
अकारण ही मिला हुआ "भावनात्मक प्रवास"।

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