QUOTES ON #पाप

#पाप quotes

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10 MAR 2018 AT 14:37

दिल को मेरे चीर गया, जो भी हुआ इंदौर में
न जाने पाप किया कैसा, हुआ जन्म इस दौर में

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30 DEC 2019 AT 6:38

ख़ुद को फिर से खड़ा करना है।
हर रोज़ कुछ बड़ा करना है।
भूल जाओ गणित पाप पुण्य का,
बह रही है जिंदगी, और घड़ा भरना है।

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26 JUL 2018 AT 4:41

मर्द तो जब चाहे जिस किसी के साथ सो लेता है
तन के बदले धन दे कर, वो अपने पाप धो लेता है

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14 MAY 2018 AT 9:50

न पुण्य से डरता हूँ न डरता हूँ मैं पाप से
मेरी एक ही कमजोरी डरता हूँ अपने आप से

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15 APR 2019 AT 8:03

जहाँ अभिप्राय पाप का हो,
वहाँ जो भी किया जायेगा,
वो केवल पाप ही होगा..!!

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2 AUG 2018 AT 13:14

तेरे घर की मैं , ना लक्ष्मी बन पाई
तेरे घर की मैं , ना तुलसी बन पाई

राहों में हम मिले और वहीं पर छूट गए
आसमान के हर तारे ,जमीं पर टूट गए

ये कैसा जीवन था ? जो जिया ही नहीं
ये कैसा साथी था ? जो मिला ही नहीं

आंखों में आंसू है , और जुबां पर ताले हैं
जीवन में कांटे है , जो किस्मत ने डाले हैं

है अपनों का ये शाप , जो हम रो रहे
सौ जन्मों का है पाप , जो हम धो रहे

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23 NOV 2019 AT 5:28

मुझे अपने जायदाद का वारिस मत बनाना
मेरे पास अपने ही पाप बहुत हैं।

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14 JAN 2020 AT 14:39

कुछ राज़ जिंदगी में ऐसे हुए,
जैसे धूल चढ़े पन्ने न किसीने छुए...
बिन आवाज़, छुपे आंसू वो रोई हर दिन
पापन वो खुद थी, चुभोए उसने खुदको सुए....

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3 JAN 2019 AT 21:22

मृत्यु आपके सारे पाप धो देती है।

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3 SEP 2021 AT 18:13

[पाप- पुण्य]

बारह साल की उम्र में एक बार नानी के बाग में झूला झूलते हुये मेरे कुछ हमउम्र मित्रों ने एक बच्चे बुद्धिराम की तरफ़ इशारा करते हुए उसके हाथों में पड़ी घायल गौरेया की उस क्रूर बालक से रक्षा करने की मुझसे गुज़ारिश की। मैंने भी नेक काम में देर ना करते हुए उस दुष्ट से गौरेया छीन ली, मरहम पट्टी की। उस दिन सब मेरे दया भाव एवं चिड़िया की जान बचाने के कार्य की प्रशंसा करते रहे और मैं भी ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। सारा दिन गौरेया हम बच्चों के आकर्षण का केंद्र बनी रही या कहें कि खिलौना।

गुज़रते वक़्त के साथ मैं उस घटना को भूल गई। फ़िर एक बार बीस वर्ष की आयु में वो गौरेया याद आई और वो निरीह बालक बुद्धिराम भी। जिसकी गरीबी के कारण उसमें खाद्य - अखाद्य पहचाने तक की भी बुद्धि नहीं बची थी। बीस वर्ष की "मैं" को यह सोच कर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई कि उस दिन एक बालक का आहार छीन लिया था मैंने।

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