हमें खो जाने की ख्वाहिश है
खो कर खुद को,
खुद को ही पाने की ख्वाहिश है
हमें हर पल
लापता हो जाने की ख्वाहिश है
कुछ और मिले न मिले
मिले तालीम तजुर्बों की
कोहनियां छील जाए चोटों से
कभी फूट पड़े हंसी होंठों से
कुछ और मिले न मिले
हम मिलेंगे खुद से
खुद के ऐसे कोने से
जिसके होने का मालूम न हो
हमें भी, तुम्हें भी
हमें खो जाने की ख्वाहिश है
खो कर खुद को,
खुद को ही पाने की ख्वाहिश है
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