QUOTES ON #पाकीज़ा

#पाकीज़ा quotes

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28 AUG 2020 AT 0:29

चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो
हम हैं तैयार चलो
आओ खो जाएं सितारों में कहीं
छोड़ दें आज ये दुनिया ये ज़मीं
ये दुनिया ये ज़मीं
चलो दिलदार चलो...
हम नशे में हैं सम्भालो हमें तुम
नींद आती है जगा लो हमें तुम,
जगा लो हमें तुम,
चलो दिलदार चलो...

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12 APR 2021 AT 14:14

तेरे आँखों के आँसूं हमारे काँधें के लिए ही बने हैं मेरी 'पाकीज़ा' सी हमनशीं इन्हें यूँ बे-वक़्त, बे-वज़ह, बे-मौसम जाया न किया करो।
कि तुम्हारी ऑंखों में बस हमारे ख़्वाब ही जँचते हैं जानशीं इन्हें तुम यूँ बेमतलब मेरी 'जान-ए-जिगर' ओ मेरे 'हमदम' न रुलाया करो।।

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26 DEC 2019 AT 0:47

थी एक तमन्ना
पढ़ लूँ कुछ हसीं कभी
शुक्रिया कायनात को
जिसने मेरी खातिर तुम्हें मेरा लिख दिया

थी एक तमन्ना
रूह को छू पाती कभी
शुक्रिया हवाओं को
जिन्होंने तुम्हें मेरे सबसे करीब ला दिया

थी एक तमन्ना
धड़कनों के सुरों को सुन पाती कभी
शुक्रिया उस खुदा को
जो तुम्हें मेरे दिल में बसा दिया

थी एक तमन्ना
आँखों में डूब जाऊं कभी
शुक्रिया मेरे महबूब
जो इस कदर आँखों में मुझको बसा लिया

थी एक तमन्ना
इश्क़ में डूबकर हो जाऊं मैं पाकीज़ा
कयामत है उस खुदा की
कि मुझे तुमसे यूँ मिला दिया...❤️❤️

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20 NOV 2019 AT 12:33

हैं मेरे पाक इश्क़ की ऐ हमदम ये हर पल हर लम्हा ध्वनि की गति से बढ़ती जाती है और अनन्त तक शुमार होती जाती हैं
जब भी होता हैं जिक्र ए इश्क़ कभी मेरे आस पास भी कहीं ये मेरे रूह में उतरती जाती हैं तेरे इश्क़ की ठंडी सी छाह मुझे एक पाकीज़ा सा शुकुन दे जाती हैं
कुछ नहीं यूँही....

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🌹पाकीज़ा🌹

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14 DEC 2020 AT 8:35

मेरी आराइश पाकीज़ा है, मुक़द्दस इन निगाहों में तू डूबेगा कैसे
इफ़्फ़त हैं नज़रें मेरी तू नज़रों से मेरी बच कर निकलेगा कैसे

इन वादियों की सारी ख़ुशबू झील का पानी निगल गयी हूँ मैं
आफ़ताब सी ताब है मुझमें तू चराग़ खुद का लेकर निकलेगा कैसे

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21 NOV 2018 AT 1:21

पाकीज़ा-सा जो यह रिश्ता
जुड़ गया है ना तुममें और मुझमें

मुक़द्दस-सी एक मिसाल है यह
आने वाली नस्लों के लिये

- साकेत गर्ग 'सागा'

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19 JUL 2021 AT 9:14

कहानी और कुछ बोले, फसाना और कुछ बोले
तमन्ना चाहती कुछ है, ज़माना और कुछ बोले

लबों पे हैं तेरे इनकार की बातें अयाँ लेकिन
तेरी नज़रों का ये का़तिल निशाना और कुछ बोले

ये माना की तेरी मन्शा तेरे अपनो ने बदली थी
मेरे आगे तेरा नज़रें चुराना और कुछ बोले

ये माना की हमारा प्यार पाकीज़ा है लेकिन
क्यों तेरा छत पे मुझे तन्हा बुलाना और कुछ बोले

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15 DEC 2017 AT 10:31

मेरे इश्क़ की पाकीज़गी बस इतनी सी है,
कि इन आँखों ने उस ख़्वाब को भी न छुआ,
जिनमें तुम न थे....!!

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हम स्वतंत्र हैं कुर्बानी से,
वीरों के बलिदानों से..!

आज़ादी की लौ रोशन है,
कुछ पागल परवानों से..!

देश की ख़ातिर जान लुटाना,
सीखो उन अफसानों से..!

सदियों हम आज़ाद नहीं है,
पाकीज़ा एहसानों से..!

मिट कर देश की आन बचाना,
समझो इन दीवानों से..!

बेफ़िक्री अंतिम साँसों तक,
जानो तुम मस्तानों से..!

ज़िक्र उन्हीं का कायम यारों,
पूछो तुम वीरानों से..!

सिद्धार्थ मिश्र

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