गुमनाम रिश्ता है कोई, अनकही चाहत है। वक्त ठहरता नही है मुलाकातो मे। ना मिलो तो, राते कटती नही है। किसी इजहार कि मोहताज नही है। ये दास्ताँ एक पाक मोहब्बत कि है।
इश्क़ करके आजकल कोई पाक नहीं रहता जिस्म के किचड़ में पड़कर सब गंदे हो गए मतलब निकलने तक ही रहता है जरुरत उनको फिर नजर अंदाज करते हैं ऐसे जैसे अंधे हो गए