"लाज़मी है तुम मेरी पहली मुहब्बत हो, भला तुम्हें कैसे भुला पाऊँगा ? टूटे दिल ,बिखरे ख्वाब,बेहते अश्कों को समेट लेने दो, इन्हें लेकर तुमसे कहीं दूर चला जाऊंगा ।"
ख़्वाहिश नहीं तेरी महफ़िलों की हमें, हम तो तेरी दी हुई तन्हाईयों के मुरीद हैं, अपनी नज़रों से हमारा अक्स छुपाओगे कैसे.. कि हम तो तेरी पहली मोहब्बत के चश्मदीद हैं