काश कभी ऐसा हो जाता , कि पाता मैं एक चिराग़
घिसता घिसता दिन भर घिसता, बाहर आते एक जनाब
कहते मुझसे मेरे आका, क्या है आपकी दिली मुराद,
कहे "ग़ालिब "सुनो जिन्न भाई , हम तो जग के छठे नबाव
हमको चाहिए बड़ी कोठरी, सारे दोस्त और एक पेटी शराब
और हां, " ग़ालिब " बुरे हालात हैं, लेकिन अभी है दम,
चखना हमीं मंगाऐंगे, खुदा कसम, खुदा कसम🤣🤣
-