ज़िंदगी में जो पसंद आते है,वही साथ छोड़ जाते है
उनकी खुशियों ख़ातिर हम अपनी खुशियों को भूल जाते है..
उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं ये जानने में हम
अपनो के साथ,ख़ुद को भी भूल जाते है..
हम उनकी खुशियों के ख़ातिर दुवाएं मांग आते है,
एक दिन वही हमें तन्हा छोड़ जाते है..
वो क्या समझेंगे तुम्हारे एहसासों,जज्बातों को
जो अपनी खुशियों के ख़ातिर,अपनो का साथ छोड़ जाते है..
ज़िंदगी के एक दौर में वो इतना मगरूर हो जाते है,
कि गर हम बुलाना भी चाहे तो वो मुँह मोड़ जाते है..
उनकी तस्वीर को देखकर मेरा मुरझाया चेहरा खिल जाता है,
गर वो देखो मुझे गैरों के साथ,तो वो ख़ुद में ही जल जाते है..!
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