QUOTES ON #पसंद

#पसंद quotes

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बहुत जिए उन लोगो के लिए
जिन्हे हम पसंद करते थे
अब जीना है उन लोगों के लिए
जो हमे पसंद करते हैं
🖤🚦

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कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे,
मतलब बर्बाद हम अकेले नहीं है...

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18 MAR 2021 AT 14:20

वो मुझे पसंद करने लगी है
मेरी बातों को,मेरे यादों को
मेरे पागलपन को,मेरे पसंद ना पसंद को
मेरे हर लम्हों को वो क़ैद करना चाहती है
अपने नज़रो में कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

वो मुझे follow करती है
राहों में मेरा घण्टों इन्तज़ार करती है
मेरी एक झलक के लिए
वो ठहर जाती है एक पल के लिए
कहीं मैं उसके आसपास तो नहीं
मेरी मुस्कुराहट को देखकर
उसका चेहरा खिल उठता है
फिर भी
मैं उसे ignor करता हूँ,
मुझे पता है कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

मेरे style को,मेरे तरीकों को
मेरे इशारों को,मेरे नज़रों को
वो मुझे copy करने लगी है
मेरे दोस्तों से कहती है वो
कोई मुझसे उसे चुरा नहीं सकता
मैं उसे पसंद करने लगी हूं..!

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29 JUN 2020 AT 18:00

ज़िंदगी में जो पसंद आते है,वही साथ छोड़ जाते है
उनकी खुशियों ख़ातिर हम अपनी खुशियों को भूल जाते है..

उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं ये जानने में हम
अपनो के साथ,ख़ुद को भी भूल जाते है..

हम उनकी खुशियों के ख़ातिर दुवाएं मांग आते है,
एक दिन वही हमें तन्हा छोड़ जाते है..

वो क्या समझेंगे तुम्हारे एहसासों,जज्बातों को
जो अपनी खुशियों के ख़ातिर,अपनो का साथ छोड़ जाते है..

ज़िंदगी के एक दौर में वो इतना मगरूर हो जाते है,
कि गर हम बुलाना भी चाहे तो वो मुँह मोड़ जाते है..

उनकी तस्वीर को देखकर मेरा मुरझाया चेहरा खिल जाता है,
गर वो देखो मुझे गैरों के साथ,तो वो ख़ुद में ही जल जाते है..!

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26 SEP 2020 AT 14:56

पसन्द उसे करो जो परिवर्तनों के बाद भी छोड़ कर ना जाए,
वरना अक्सर बदल जाते हैं लोग तुममें तब्दीलियाँ लाकर!

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8 NOV 2018 AT 8:41

वो तो पूर्णिमा का संपूर्ण चांद हैं,
पर उसे अमावस की दीवाली भाती हैं।

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11 OCT 2017 AT 19:53

अगर दिल न लगे तो पास फिर आ जाना...
साथ पसन्द आये तो फिर साथ निभाना...
जाने क्यों आँख हर बात में भर आती है,
शायद वजह ये,, बेवजह जुदाई है......

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21 APR 2020 AT 10:35

सुनो ,
स्त्रियों को लेकर भी पुरुषों का प्रेम दो तरह का होता है । एक वो पुरुष होते हैं जिनका प्यार स्त्री के कपड़े से छलकते हुए उभारो तक कि सीमित रहता है। उनकी नजरें वही फिसलती है और टटोलती रहती हैं उसके जिस्म को अपनी निगाहों से ।

फिर होते हैं दूसरे तरह के पुरुष जिनकी निगाहें स्त्री के उभारों पर नहीं फिसलती बल्कि उलझ जाती है स्त्री की जुल्फों से, अटक जाती है उसके दुपट्टे के धूंधरूओं से और ठहर जाती है उसकी मुस्कान पर ।सुनो, मुझे सिर्फ दूसरे तरह के पुरुष पसंद हैं तुम्हें तो पता है ना तुम किस तरह के पुरुष हो।

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19 APR 2019 AT 17:39

ईक सपना था, कोशिशों की चाबी से बंद था,
लौट के आये तो, उसी ताले पे जंग था,
यूँ तो कुछ नहीं चाहा जो चाहा ग़ालिब,
हमें वो औऱ उसे कुछ औऱ ही पसंद था...!

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23 FEB 2018 AT 21:55

कविता को
लम्बाई या चौड़ाई से ज्यादा
गहराई पसंद है।

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