‘मैं’ खोना चाहता हूं।
दूर आसमान से गिरते,
झरने में कहीं खोना चाहता हूं।
बचपन की यादों में,
आज ‘मैं’ फिर कहीं खोना चाहता हूं।
उस बचपन को,
आज ‘मैं’ फिर वापिस लाना चाहता हूं।
अपनी उस धुन में,
आज ‘मैं’ फिर मग्न होना चाहता हूं।
उन पलों को,
आज ‘मैं’ फिर जीना चाहता हूं।
मैं आज फिर ‘मैं’ होना चाहता हूं।
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