आये थे अकेले, है अकेला ही जाना।
फिर क्यूं किसी से मोह लगाना।
सही गलत में है उलझी दुनिया,
पर क्या सही और क्या गलत,
है हम इंसानों का ही बनाया पैमाना।
आये थे अकेले, है अकेला ही जाना।
तलाश उस आदर्श की न होती यहां पूरी कभी।
हैं खुद ही खुद में न जाने कहां मशगूल सभी।
न छूटे कोई अपना, न टूटे कोई सपना।
चेहरे पे मुस्कान लिए, यूं हीं आगे बढ़ते जाना।
आये थे अकेले, है अकेला ही जाना।
जीवन का ये मिला जो पल है,
यूं पल पल में बनता ये कल है।
संजोकर यादें इन परिवर्त्य पलछिन की,
है सबको इस दुनिया से जाना।
आये थे अकेले, है अकेला ही जाना।।
-