क्या लिखूं मैं अपने बारे में इक आजाद परिंदा हूं
कोशिश दुश्मनों ने की मारने की,पर फिर भी आज जिंदा हूं।
आशियाना ढूंढ के थक गए सब,वो क्या जाने,
मैं तो अपनों के दिलों का बाशिन्दा हूं।
मेरे दोस्तों के और भी कई दोस्त होंगे,
पर उन सब में मैं उनका चुनिंदा हूं।
कुछ ऐब तो होंगे मुझमें भी पर फिर भी,
अपने किरदार से सबके दिलों में जिंदा हूं।
बस इतना कहूंगा अब मैं अपने बारे में,
अगर मेरे दोस्त सुदामा हैं,तो मैं उनका गोविंदा हूं।
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