सच की अलख नानक ने सच की अलख जगाई कृष्ण ने प्रेम की बंसी बजाई यीशु सूली पर जा चढ़ गए हज़रत ने नेकी की राह दिखाई कौन कहे जी झूठ ही बोलो कौन कहे जी कम कर तोलो बिना भेदभाव सब ने बांटी बस अच्छाई सुनो उन्होंने क्या-क्या बताया जीवन का जो सार बताया परहित बोलो परहित सोचो परहित करना काम रे भाई
शुभ्र शुभ्र प्रमुदित है मन नई मुस्कान पहन कर चलते है शुभ लाभ कामना करते है स्वहित परहित का ध्यान रहें बस यही कामना करते है मिले पथिक जो जीवन पथ में राम राम उन्हें कहते है..!
इस दुनिया में लोगों का नाम उसी का बना रहेगा,जो परहित संलग्न रहा स्वार्थ को करके दरकिनार,सेवाभाव हृदय में रखता हो एकमात्र धर्म हो मानवता,दृढ़ संकल्पित हो जो दयावान दीपक की भांति जलकर जो,जग में उजियारा कर जाता इस स्वार्थ भरी दुनिया में,वो ही ;अपना नाम अमर कर जाता है।
फल आबत झुक जात हैं,तरुवर ज्यों सान्नद,, अहंकार को मेट दो,मिले तभी आन्नंद ,, ★★★★★★★★★★★★★ परहित कर बिसरादियो,आबै नाहि जुबान,, समझो इस संसार में मिले तुम्हें सम्मान,,