हमें सहर्ष स्वीकार्य होगा तुम्हारी "न" के साथ परिणय… रिक्त हाथों में बिना पदचाप के नितांत मौन हो चले जाएंगे विषुवत रेखा के एक छोर पर और सम्हाल लेंगे एक संवासिनी का जीवन, इस ग्रह के कहाँ हैं हम... हम परग्रही हैं आज तक
जिसने भी परग्रही को देखा, वे उनके कायल हो गए। परग्रही उनके भगवान, और वे खुद पैगंबर हो गए। उनकी अलौकिकता से वे धन्य-धन्य हो गए । और उनके अनुयायियों के नियम-करम धरम हो गए।
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