QUOTES ON #पन्ने

#पन्ने quotes

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30 SEP 2019 AT 13:18

कलम जब_*उठाती हूँ तो पन्ने__भर जाते है

कहीं ना कहीं मेरे__ दिल के कागज़ कोरे_*रह जाते हैं



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29 MAY 2020 AT 5:26

कितना कुछ टूटा हुआ
कलम से बुहारता है एक कवि!
तब जाकर पन्ने पर
कविता उतारता है एक कवि!

मन को टटोलता है,
शब्द भावों से तौलता है,
सृष्टि के कितने पहलुओं
पर बोलता है एक कवि!

जीवन की जटिल गुत्थी
कविता-दर-कविता
आजीवन खोलता है एक कवि...

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18 SEP 2020 AT 16:22

यहां चलती तो बस तुम्हारे मन की है
हमारी बाते तो सिर्फ
हमारे किताबो के पन्नों में छलकी है📝

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5 JUN 2020 AT 17:07

तेरे हर झूठ को अपना बनाया था
मेरे हर पन्ने में तुझको ही सजाया था

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13 AUG 2019 AT 19:47

आज तुम्हे देखकर भी तुमसे बात ना कर सके
तुम नज़दीक से यूँ गुज़रे जैसे तुमने दिल को छुआ
सब खत्म हो गया मगर वो एहसास वो प्यार
आज भी बाकी है
तक़दीर ने ज़िन्दगी के पन्नो को यूं पलटा जैसे
तुम्हारा साया ही आंखों के सामने से ओझल हुआ

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10 AUG 2017 AT 20:51


अरसे बाद,
आज फिर कलम उठायी थी
लिखूँ या न लिखूँ , क्या लिखूँ
इसी पशोपेश में उलझी हुई थी
की अचानक,
नजर पेपरवेट तले रखे पन्नों पर पड़ी |
कागज का खालीपन मुझे एकटक देख रहा था
वही खालीपन, जो मैंने महसूस किया था
उसके जाने के बाद
मानो उसका अधूरापन पूछ रहा हो मुझसे
"आज भी नहीं लिखोगीे? स्याही से कब तक दूर रखोगी?"

फिर क्या..
मैंने भी झठ से मुँह फेर लिया..
पर..उसका सवाल..
मन को भीतर ही भीतर कचोटे जा रहा था
सवाल नहीं मानो अस्तित्वहीनता हो
अगर लिखूँ , तो वादा खिलाफी,
और अगर नहीं , तो वज़ूद से नाइंसाफी

वही, उस से किया हुआ वादा
"जो तुम चले गए मुझे छोड़कर , मैं भी लिखना छोड़ दूंगी "

अाज भी,
उलझा रही है मुझको ये कशमकश अंदर से
कुरेद कुरेद कर पूछती हूँ खुद से
बेवफ़ाई तुमने की या
वफ़ा मैंने नही निभायी काग़ज़ के कोरेपन से |

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25 MAY 2018 AT 19:46

इस कहानी को विस्तृत करने
आई मै एक किरदार बनके
जोड दिये कई पन्ने
नव सृजन करने के लिए

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19 DEC 2018 AT 8:30

जिंदगी के खाली पन्ने भी
बहुत कुछ सीखा जाते हैं।

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17 SEP 2021 AT 22:38

हमारी अनगिनत यादों को.. इन आड़े टेढ़े अक्षरों से.. इन पन्नों में ही तो उकेरती हूं..

हाँ...सही कहा.. कोई और माध्यम सूझा नहीं मुझे..
तुम्‍हारी यादों को संजो कर रखने के लिए.. इन पन्नों वाली अलमारी के सिवा..

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4 JUL 2017 AT 15:46

निःशब्द

डायरी के उन कोरे पन्नों पर
आँखों से तेरी जो बूंद गिरे,

शब्दों की गैरहाजिरी में ही
वो पन्ने आज बोल पडे़।।

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